सफ़र का शौक़ीन मैं, हैरान रह गया उस दिन,
तेरी उस हसीन सी मुस्कराहट पर सफ़र ही भूल गया जिस दिन,
उबरे जब तलक तेरे ख़याल से बहुत देर हो गयी उस दिन,
तेरे दीदार के चक्कर में कॉलेज देर से थे हम पहुंचे जिस दिन,
क्या करें क्या बनायें बहाना, थी अजीब कश्मकश उस दिन,
न ही ठण्ड थी न था मौसम ठंड का फिर भी कंपकंपी छायी थी जिस दिन
अध्यापक महोदय ने भी उठक-बैठक लगवा कर क्या गज़ब ढ़ाया उस दिन,
आँखों में मस्ती चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर तुमने सितम ढ़ाया जिस दिन,
मिली थीं फ़िर से नजरें और तू शरमा कर मुस्करायी थी उस दिन,
साँसे बिखर गईं कमबख़्त दिल भी लगा उछलने, तुमने वो अनकही बात बताई थी जिस दिन.....