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सोच

11 नवम्बर 2019

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कपड़ा फट जाता है तो दूसरा पहन लेते हैं .वैसे शरीर नाशवान हो जाएगा तो हम दूसरा चोला धारण कर लेंगे .गीता में श्रीकृष्ण ने इतना ही कहा...........  बस थोड़ी बहुत जानकारी लेकर एक अनपढ़ आदमी भी संत बन जाता है .ढोंगी गुरु बन जाता है और दुनिया को ठगने के लिए धीरे-धीरे एक महान संत गुरु या बाबा का चोला लेता है .लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि तालाब में एक मछली  अगर गंदी हो गई तो सारी मछलियां गंदी होगी. भारतवर्ष गुरु के ही आधार पर टिका है .आज भी गुरु के  ज्ञान कोई भी आदमी आगे नहीं बढ़ सकता .दुनिया में थोड़ी बहुत दुष्ट बाबाओं की वजह से सारे बाबा ,सारे गुरु दोषी नहीं हो सकते . बस हमें जरूरत है, ध्यान से, धैर्य से दृढ़ ,विश्वास से गुरु चुनने की . वैसे हमारे भारतवर्ष में मूर्ख प्राणियों की कमी नहीं है .अगर यहां पर कुछ सही आदमी है, तो कुछ ऐसे व्यक्ति भी है .आज तक जितने भी महान व्यक्ति हुए सब ने उन्हें दुत्कार आ .मरने के बाद उनकी पूजा की .इसलिए भारत वर्ष मुर्दा पूजक है .जिंदा आदमियों की कदर यहां पर नहीं होती. शंकराचार्य को इतना प्रताड़ित किया गया कि उसको कांच   ghotakr पीला  के मार दिया गया .सुकरात को इतना प्रताड़ित किया गया कि उनको जबरदस्ती जहर पिला दिया गया .ईसा मसीह को इतना प्रताड़ित किया गया कि सूली पर टांग दिया गया. बुध को इतना प्रताड़ित किया गया कि उनके कानों में किल्ली ठोक दी गई .भगवान राम को इतना प्रताड़ित किया गया कि 14 साल तक पत्नी के वियोग में जंगल में दर-दर भटकते रहे. कृष्ण का भी यही हाल था उन्हें भी रणछोड़ जैसा कलंक लगा.  इन सब से यही साबित होता है कि हमारे भारतवर्ष मुर्दा पूजक है .जिंदा आदमियों की पूजा नहीं होती. मां बाप घर में एक एक रोटी के लिए तरसत रहेंगे. उन्हें हर समय तुच्छ भाव से देखा जाएगा. बात बात पर उनको नीचा दिखाया जाएगा ,पर मरने के बाद वही मान सम्मान, दुनिया को दिखाने के लिए उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा .क्या यह सही है, ऐसा नहीं करना चाहिए. हमें जरूरत है दुनिया से दिखावा ना करने की .हमें जरूरत है घर में अपने बूढ़े मां-बाप की सेवा सत्कार करने की. हमें जरूरत है दुनिया को कुछ भी दिखाने के लिए काम ना करने की. अगर हम शुरुआत करेंगे तो हमारे बच्चे भी हमारे इसी संस्कार को अपनाएंगे .और भारत फिर से एक संस्कार युक्त भारत बन पाएगा.

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23 जनवरी 2020
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