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मेरा सपना

12 अक्टूबर 2019

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मेरा सपना है इतना अब मेरे सपने सच हो जाएं सब। बीमार रहे न कोई,न कोई भूखा प्यासा सबपे इतना तो हो ही,कि पूरी कर पाएं आशा। बच्चे पढ़ लिख पाएं, युवा काम पर जाएं बुद्धि शक्ति का संगम,उन्नति की नदी बहाएं। कन्याएं निर्भय विचरें,बहुएं अपना हक पाएं बहन बेटियां बिहँसे, माताएं सुख पाएं। सबको सबका सुख भाए, द्वेष दम्भ मिट जाए, आतंक के क्रूर कुकर्मों का, नामोनिशा मिट जाए। हो साफ स्वच्छ धरती अम्बर और हरियाली हो जी भरकर, कलकल नदियाँ, झरझर झरने,हरहर सागर की लहर लहर, सब एक बनें और नेक बनें, सुख देकर सुखी प्रत्येक बनें, अधिकारों से पहले,कर्तव्यों का अभिषेक करें जो ये स्वप्न सत्य हो जाये,हर जीव सुखी हो जाये, प्रभु मेरे ,मुझ पर इतनी जो कृपा आप कर जाएं।

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मेरा सपना

12 अक्टूबर 2019
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नया सवेरा

12 अक्टूबर 2019
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उम्र की सीमा होती हैचाहतो की नहींधरती की सीमा होती हैअम्बर असीम हैनज़र की सीमा होती हैख्वाबों की नही उम्र के हर दौर में हसरतों को साथ रखोबांधो मत खुद को किसी बेबसी के साथबढ़ते रहो, चलते रहो जीते रहोज़िंदगी आसान नही आसान बनानी हैनया सवेरा आएगा नए उजाले के साथ एक रोज़ज़रूर आएगा

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त्यौहार

17 अक्टूबर 2019
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तीज त्यौहार आकर हमे उत्साह के वैल्यू पैक से रिचार्ज कर जाते हैं , एनर्जी की बैटरी फुल कर जाते हैं, एक नई वैलिटीडी दे जाते हैं खुशियों को।रोज़ रोज़ की नीरसता से मुक्त कर जाते हैं। इनके बहाने हम परिवार के साथ उठते बैठते, खाते पीते, घूमते फिरते हैं, दोस्तों, परिचितों से मिलते जुलते हैं। साफ सफ़ाई जैसा ऊब

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"सब कुछ तो है"

23 अक्टूबर 2019
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रोटी , कपड़ा, मकान सब कुछ तो है,पलँग, बिस्तर, रात सब कुछ तो है,भूख भी है ,प्यास भी है,आंख भी है, ख्वाब भी है, जब सब हासिल है, तो तलाश किसकी है?जब सब है मिला हुआ, तो आस किसकी है?क्यों खामोशी भी कुछ कहती रहती है?क्यो नींद रह रहकर टूटती रहती है?क्यों बेचैनी है, छटपटाहटें हैं?क्यों दिल के दरवाज़े पर दर्द

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ख़ास दिन

24 अक्टूबर 2019
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कुछ करने के लिए किसी खास दिन का इंतज़ार क्यों करना?हर दिन , हर पल, हर लम्हा अपने आप मे ख़ास ही होता है। एक नई शुरुआत का अवसर हमेशा सामने होता है।वो कहते हैं ना कि जब जागो तब सवेरा, तो प्रतीक्षा किस बात की? इंतज़ार कैसा और किसका? जो चाहो , कर सकते हो।अपने आप पर पूरा विश्वास रखो। अपने हौसले और क्षमताओं क

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इंतज़ार

24 अक्टूबर 2019
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इन दिनों त्यौहार की गहमा गहमी है। हो भी क्यों नहीं, पांच दिनों का महा पर्व,प्रकाश पर्व दीपावली कल से आरम्भ जो हो रहा है। घर आंगन, देहरी और निग़ाहों में इंतज़ार आकर ठहरा हुआ है," कि घर कब आओगे" परिजनों के आने का इंतज़ार, मिलने का इंतज़ार, उन्हें एक बार फिर महीनों बाद देखने का इंतज़ार। त्यौहार आते हैं, तो

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