"सब कुछ तो है"
रोटी , कपड़ा, मकान सब कुछ तो है,पलँग, बिस्तर, रात सब कुछ तो है,भूख भी है ,प्यास भी है,आंख भी है, ख्वाब भी है, जब सब हासिल है, तो तलाश किसकी है?जब सब है मिला हुआ, तो आस किसकी है?क्यों खामोशी भी कुछ कहती रहती है?क्यो नींद रह रहकर टूटती रहती है?क्यों बेचैनी है, छटपटाहटें हैं?क्यों दिल के दरवाज़े पर दर्द