”दर्पण ”
”दर्पण ”रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक)सब के घरों में मैं रहती हूँ।नाम हैं मेरा दर्पण,ना किसी से कुछ मैं लेतीकरती हूँ अर्पण ।। सब कोई मुझको ही देखे ।बदले में खुद को ही देखे ।। प्रतिबिंब मैं बनाता पूरा ।मेरे बिन श्रृंगार अधूरा ।। गाड़ी के आगे मैं लगता ।पीछे क है चित्र दिखाता ।। मुझे देख जो गाड़ी च