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सोना का पायल

7 जून 2021

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featured image“सोना का पायल” रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक)   कलेक्टर दफ्तर में काम करने वाली अंजली के पास धन दौलत बहुत थी। पर परिवार में बेटी सोना के सिवाय कोई ना थी। अंजली सुबह  दफ्तर के लिए निकलती तो शाम को घर वापस आती । घर का सारा काम नौकरानी शीला करती ।दो दिन बाद सोना का जन्मदिन था। ऐसे में मम्मी ने सोना के लिए एक अच्छा आ पायल लेने की सोची । अगले ही दिन अंजली अपने नौकरानी शीला के साथ पप्पू सेठ की दुकान से सुन्दर सा पायल ले आती है।  पायल को देखकर शीला मन ही मन सोचने लगती है कि काश मैं भी अपने बेटी टीना के लिए  ऐसा सुंदर सा पायल ले पाती। अगले दिन शीला सोना के जन्मदिन की खुशियों में शामिल होती हैं। सोना को पायल बहुत पसंद आया और वह बहुत खुश थी। सोना अपने दोस्तों के साथ पास के गार्डन में खूब खेलती-कूदती। और शाम को घर वापस आती।  एक दिन सोना अपने मम्मी के साथ रात में सोई रहती है ऐसे में मम्मी की नजर सोना के पैरो पर पढ़ती हैं। पैरो पर पायल ना होने से उन्हें गुम जाने का शक होता है। पूछने पर  सोना अपने पैरो पर पायल ना देख रोने लगती हैं। और रात भर अपनी पायल के बारे में सोच ठीक से सो नही पाती । सुबह  शिला आती है और घर का कोना-कोना ढूँढने लगती है पर पायल  कही नहीं मिलती । शीला जब शाम को घर आती है तब अपनी बेटी टीना के पैरो में  पायल देख चौक जाती हैं शिला पायल को  पहचान लेती है और कहती है ये तो  सोना का पायल हैं। तुम्हें कहा मिला ? तब टीना कहती है कि कल मैं गार्डन गयी थी। वही घास में पड़ी हुई मुझे यह पायल मिला ।और आस-पास कोई नहीं थी। तो पायल मैंने रख लिया । अब शीला चाहती तो यह पायल अपने बेटी के लिए रख सकती थी किन्तु शिला ने ऐसा नहीं किया और ईमानदारी का परिचय देते हुए अपने मालकिन को पायल वापस कर दी। मालकिन शीला कि ईमानदारी से खुश हो जाती है। और वह पायल इनाम में शीला को वापस दे देती है और उनका पगार भी बढ़ा देती है शीला के चेहरे खिल उठते है। -----रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक) ग्राम-लिमतरा,जिला-धमतरी(छ. ग.)   मोब-.9977880889    

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डॉक्टर

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<p>“ डॉक्टर ” </p> <p> रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक) </p> <p><br></p> <p>&

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