”दर्पण ”
रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक)
सब के घरों में मैं रहती हूँ।
नाम हैं मेरा दर्पण,
ना किसी से कुछ मैं लेती
करती हूँ अर्पण ।।
सब कोई मुझको ही देखे ।
बदले में खुद को ही देखे ।।
प्रतिबिंब मैं बनाता पूरा ।
मेरे बिन श्रृंगार अधूरा ।।
गाड़ी के आगे मैं लगता ।
पीछे क है चित्र दिखाता ।।
मुझे देख जो गाड़ी चलाता ।
दुर्घटना से उसको बचाता ।।
बच्चे को बच्चे कहती मैं ।
बूड़े को बूड़े कहती मैं ।।
हर किसी से सच कहती मैं ।
नहीं किसी से छल करती मैं ।।
रचनाकार-प्रीतम कुमार साहू(शिक्षक) ग्राम-लिमतरा,जिला-धमतरी
(छ. ग.) मोब-.9977880889