shabd-logo

हाथ धोए क्या?

12 फरवरी 2018

176 बार देखा गया 176
पति- वाह पनीर के पकोडे़, आई लव यूँ बोथ आँफ यूँ! पत्नी- आपने पेपर पढ़ने के बाद हाथ घोए थे क्या? पति- बेबी पेपर से क्या.होता है? पत्नी- बेबी किटाणु तो उसमें भी होते है ना। पत्नी- साबुन से! पति- तुमने अपने हाथ घोए? पत्नी- मैं तो पूरी की पूरी अभी नहाकर निकली हूँ। पति- थैक गोड, तुमने अपने डिफेंस में ये नही कहा कि तुमने हारफिक से हाथ घोए है।

Gourav kumar की अन्य किताबें

1

एडजस्ट करना जरा...

7 फरवरी 2018
0
2
3

पति-पत्नी सोने की तैयारी में थे।'तुम्हारे मम्मी-पापा को यहाँ आए काफी दिन हो गये। तुम उन्हें बोल क्यों नही देती वापस चले जाने के लिए। आखिर मेरे मम्मी-पापा कब तक एडजस्ट करते रहेगें।'पति ने शान्त होकर खहा।'तुम अपने कम्पनी वाले को क्यों नही बोलते शहर से दूर एक फ्लेट देने के लिए।आखिर मैं इतनी बड़ी फैंमली

2

एक बूँद ईश्क की...

10 फरवरी 2018
0
0
0

अगर आपके पर्स से ₹100 गिर जाए। मैं आपकी नजरों से बचकर उसे उठा लेता हूँ तो आप मुझे क्या कहेगें। बूरा आदमी! बिल्कुल सही लेकिन अगर पैसे उठाने के बाद मुझे एहसास हो कि मैंने गलती कि है, चोरी की है और मैं आपके पैसे आपको वापस कर देता हूँ, तोआप मुझे क्या कहेगें बूरा आदमी! विचार कर बताईयेगा। इस कहानी को दो भ

3

हाथ धोए क्या?

12 फरवरी 2018
0
1
0

पति- वाह पनीर के पकोडे़, आई लव यूँ बोथ आँफ यूँ!पत्नी- आपने पेपर पढ़ने के बाद हाथ घोए थे क्या?पति- बेबी पेपर से क्या.होता है?पत्नी- बेबी किटाणु तो उसमें भी होते है ना।पत्नी- साबुन से!पति- तुमने अपने हाथ घोए?पत्नी- मैं तो पूरी की पूरी अभी नहाकर निकली हूँ।पति- थैक गोड, तुमने अपने डिफेंस में ये नही कहा क

4

लड़की दहेज़ का दावा क्यों नही कर सकती...

24 फरवरी 2018
0
1
2

लड़की- वीर जी! आप अपने पापा से कहकर दहेज़ की रकम कम नही करवा सकते।लड़का- उनके भी कुछ अरमान है। मेरे पढ़ाई में बचपन से लाखों रूपय खर्च हो चूके है। उसके ही एवज में आपसे दहेज़ के रूप में आपसे कुछ पैसे लिए जा रहे है, और कुछ नही।लड़की- आप तो ऐसे कह रहे है जैसे हमारी पढ़ाई का खर्च सरकार ने उठाया हो। हमारे माता-प

5

बघाई हो!

2 मार्च 2018
0
0
0

जमाने की सारी खुशियाँ उसके पैरों पर न्योछावर कर दी..मगर मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई जब उसने यह कहा-बघाई हो तुम मामा बनने वाले हो।

6

हर नाकामयाब इंसान की सोच

2 मार्च 2018
0
1
0

शिकायते बहुत थी हमें जमाने से,वरना आज हम भी कामयाब होते।

7

होली

9 मार्च 2018
0
0
0

'सौरव अपने रूम में पढा़ई कर रहा था।उसके सैंमसग 2100 की घंटी बजती है।'सौरव प्रणाम कर रहा हूँ पिताजी।'सौरव ने फोन पर ही पैर छूने का अभिनय किया।'जीते रहो और बताओ कैसी चल रही है पढ़ाई।'उसके पिता ने कड़क आवाज में कहा।'अच्छी हो रही है पिताजी।'सौरव ने अपराघ भाव से कहा।'29 के तो हो गये हो अब और कितनी देर। जल्

---

किताब पढ़िए