मेरी माँ जग से न्यारी जाती हमपर बलिहारी।
कभी न तोके कभी न रोके काम करेंहम मन मर्ज़ी।
करे कोई भी शैतानी हो कितना नुकसान
माँ का आंचल सदा सहारा उसपर हमको मान।।
कभी कमी होने न दी माँ ने सीमित संसाधन में ।
सदा प्यार के फूल बिखेरे माँ ने घर के आंगन में।।
माँ की याद सदा आती है लगता माँ लोरी गाती है।
बेटी हूँ मैं पराई हो गई पर माँ कब मन से जाती है।