इस वर्ष सितंबर में जी-20 का शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित होने वाला है विश्व के व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है साथ ही इसमें कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दे जिनमें रूस यूक्रेन का युद्ध भी प्रमुख रूप से एजेंडे में शामिल होगा क्योंकि रूस भी G20 का सदस्य देश है और ऐसी खबरें आ रही है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी इस सम्मेलन में भाग ले सकते हैं अगर प्रधानमंत्री मोदी रूस से मजबूत संबंधों के आधार पर ऐसा कुछ करने में सफल हुए जो कि युद्ध को रोकने में सहायक हुआ तो यह सीधे तौर पर भारत के बढ़ते कूटनीतिक प्रभाव का परिचायक होगा ।
पश्चिमी देश राष्ट्रपति पुतिन से इस मुद्दे पर चर्चा जाते हैं और वह भी प्रत्यक्ष रूप से किंतु ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है क्योंकि पिछले दो सम्मेलनों में राष्ट्रपति पुतिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा ही शामिल हुए थे चुकी ईयू अर्थात यूरोपियन यूनियन भी G20 का हिस्सा है और वह अमेरिका के साथ मिलकर काफी समय से रूस पर दबाव बनाने के सारे प्रयत्न कर चुके हैं जो बेनतीजा ही निकले हैं क्यूंकि रूस पर तेल निर्यात से संबंधित जो प्रतिबंध लगाए थे उससे रूस को बचाने के लिए भारत ने रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदना शुरू कर दिया था जिससे रूस पर प्रतिबंधों का कोई असर नहीं हुआ वही दूसरी और भारत के विदेश मंत्री इस मुद्दे पर यूरोप के द्वारा भारत की आलोचना को अस्वीकार करते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खरी खरी सुना चुके है और यह बात सभी जानते हैं कि भारत और रूस के काफी गहरे रिश्ते हैं इसलिए भारत से सभी की उम्मीद होना स्वभाविक है। इसके साथ ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी जो स्वयं भी कूटनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं इस सम्मेलन के माध्यम से अगर कोई सकारात्मक परिणाम देने में सफल हुए तो यह भारत को विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित कर देगा। बहरहाल यह कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह वर्ष भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।