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द बोर्न ऑफ सुपरहीरो पार्ट -1

25 सितम्बर 2022

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लेखक - रोहन विश्वकर्मा
कोपिराईट© - 2022 चकरा कोमिक्स All Rights Reserved.

चेतावनी
 यहा दिखाई गये सभी पात्र काल्पनिक है, यदी किसी पात्र से आपका नाम या कुछ भी समान है तो , यह महज एक संयोग है, और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
 
केरेक्टर्स - 1.आर्यभट्ट - Captain Chakara          
                सुपरहीरो
            2. प्रो.कुमार - आर्यभट्ट के पिता जो एक                   
            साइंटिस्ट है।
            3. वत्सला - आर्यभट्ट की माता
            4. मानस - आर्यभट्ट का दोस्त
            5. मे.सुरेंद्र - आर्मी ऑफिसर

Origin
1.  आर्यभट्ट - उर्फ लेमोर सुपरहीरो - अद्भुत शक्तियों के साथ पेदा हुआ है, तेज दिमाग और जिनियस है, जब उसे अपनी शक्तियों के बारे में पता चला तो, उसने अपनी शक्तियों के साथ लोगों की मद्त करने के लिए खुद को एक सुपरहीरो बना लिया, उसके पिता को उसने सब कुछ बताया और उन्होंने उसको नाम दिया, Lamor आगे जाके Lamor बना Captain Chakara क्योंकि एक वोही था, जो Captain बनकर सारे सुपरहीरो को संभाल सकता है, उसे अभी तक ये नहीं मालूम की उसको ये शक्तियों कहा से मिली है।


आर्यभट्ट ( सड़क पे चलते हुए ) - मानस आज मुझे पापा की बोहोत याद आ रही हैं, वो बोहोत दिनों से सेंटर लेब गये है लेकिन उन्होंने फोन भी नहीं किया है।

मानस - कोई बात नहीं तुझे तो पता है ना वो सहर के सबसे बड़े साइंटिस्ट है, और वो बोहोत सारी खोज करते रहते हैं।

आर्यभट्ट - में जानता हु, वो इन सब मैं इतना खो जाते हैं कि उन्हें कुछ याद नहीं रेहता अच्छा चलो में चलता हूं, कल मिलते हैं।

मानस - ठिक है , कल मिलते हैं बाय ।

आर्यभट्ट ने टीवी ओन कि और उसपे न्यूज आ रही थी सेंटर लेब पर आतंकवादी हमला हुआ है,

वत्सला - आर्यभट्ट बेटा तेरे पापा तो कई दिनों से वही है , उनको कुछ हो न जाये में क्या करूं अब।

आर्यभट्ट - मम्मी पापा को कुछ नहीं होगा आप एक काम करो आप मन्दिर चले जाओ में पुलिस से बात करता हूं , वहां क्या हो रहा है।

वत्सला - ठीक है बेटा।

आर्यभट्ट ( खुद से )- मम्मी को मन्दिर तो भेज दिया अब मुझे पापा को बचाने जाना चाहिए।

                       सेंटर लेब
आतंकवादी - प्रो. कुमार जल्दी से हमें बता दो जो हतीयार तुम बना रहे हो, वो कहां है।

प्रो.कुमार - नहीं में तुम्हें कभी नहीं बताउगा वो वेपन मैंने इस देश के लिए बनाया है, और तुम जैसे आतंकवादी जो उसको बर्बाद करना चाहते हैं ,उसको कभी नहीं दुंगा।

आतंकवादी - ठीक है तो अब मरो उस हतीयार को तो हम ढुंढ ही लेंगे।

खिड़की का कांच तोड़के कोई अंदर आता है

आतंकवादी - अबे कोन हैं तु कार्टून जैसे कपड़े पहनकर तु तीसरे फ्लोर की खिड़की तोड़कर कैसै आ गया।

आर्यभट्ट - मैं यहां नहीं आया तुम सब की मोत आयी है।

आतंकवादी - अच्छा बिना किसी हथियार के तु हमें तो धमकी दे रहा है, लगता है, इस प्रो. से पहले तु ही मरेगा।

आर्यभट्ट - अच्छा तो चलो देखते हैं।

आतंकवादी ( आर्यभट्ट की तरफ गोलियां मारते हुए ) - अब देखता हूं तु कैसे बच्ता है, ये क्या ये कहा गायब हो गया है।

आर्यभट्ट ( अचानक से आतंकवादी के पिछे से आकर उनकी बन्दुके हवा में उड़ा देता है ) - मेने तुम लोगों से कहा था अब भुगतो पहले ही मेरी बात मानकर पापा मेरा मतलब है प्रो. को छोड़कर खुद को पुलिस को सरेंडर कर देते तो तुम्हें इतनी मार नहीं पड़ती ।

आर्यभट्ट उनको भी हवा में उठाकर बहार पुलिस के पास ले गया और बोला ये रहे आपके आतंकवादी इनका ठीक से ख्याल रखना।

प्रो.कुमार - कोन हो तुम और तुम्हारे पास ऐसी अद्भुत शक्तियां केसे है।

आर्यभट्ट - प्रो. बस मुझे आप लोगों का रखवाला बोल सकते हैं। ( आर्यभट्ट उनके सामने से उड़कर चला गया )

प्रो.कुमार ( घर वापस जाने को निकलते हैं ) -
सायद में तुम्हें अच्छे से जानता हु।

आर्यभट्ट ( घर लोटकर अपनी मम्मी को फोन लगाता है ) - हैलो मम्मी आतंकवादीयो को पुलिस ने पकड़ लिया है और पापा भी ठिक है।

वत्सला - ठिक है मैं घर आ रही हुं।

प्रो.कुमार और वत्सला घर पहुंच गए थे।

प्रो. - वत्सला तुम कहां गयी थी और आर्या कहा है।

वत्सला - में मन्दिर गयी थी सेंटर लेब पर आतंकवादी हमला हुआ है ये देखा इसलिए आपके लिए प्रार्थना करने गयी थी आर्या उसके कमरे में होगा।

प्रो. - ठीक है मुझे उससे अकेले में कुछ बातें करनी हैं।

प्रो. - आर्या तुम कहां आज कहा थे, तुम तुम्हारी मम्मी के साथ मन्दिर क्यों नहीं गये।

आर्यभट्ट ( प्रो. को गले लगाकर ) - पापा आप आ गये, में कितना डर गया था, वो में पुलिस को फोन करके पुंछ रहा था कि वो लोग क्या कर रहे हैं, आतंकवादियों को पकड़ने के लिए।

प्रो. कुमार - नहीं आर्या ये सच नहीं है, तुम पहली बार मुझसे झूठ बोल रहे हो, मुझे मालूम है वो लोगों का रखवाला और कोई नहीं बल्कि तुम ही हो।

आर्यभट्ट - ठीक है जब आपको इतना पता चल चुका है तो में आपको पुरी बात बताता हूं।

पापा आपको याद है, दो महिने पहले जब में घर आया था तब मुझे बोहोत ज्यादा चोट लगी थी तब असल में, में ओर मानस फिल्म देखकर उस सुनसान रास्ते से आ रहे थे क्योंकि हम बोहोत लेट हो गये थे इसलिए हम वहां से आ रहे थे, एक लुटेरे ने हम पर हमला कर दिया था और वो हमसे हमारे पैसे और सामान छिन रहे थे मानस के पापा कि घड़ी जो मरने के बाद उनकी आखरी चिज़ मानस के पास थी वो छिनने वाले थे मानस ने उनसे कहा में ये नहीं दुंगा तो उसने उसे मारकर बेहोस कर दिया था, मैंने जब उसे गुस्से में मारा तो, वो हवा में उड़ गया और फिर जैसे में हाथ इधर-उधर कर रहा था वो उधर ही जा रहा था मैनै उसे उठाकर दिवाल पर फेंक दिया वो भी बेहोश हो गया फिर पता नहीं कैसे में उड़ने भी लगा फिर मैंने खुद को नार्मल किया और मानस को लेकर आ गया, तभी से मुझे पता चला मेरे पास शक्तियां हैं।

प्रो.कुमार - मुझे पता था, तुम कोई आम बच्चे नहीं हो बचपन में तुम अनजाने में ही अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर देते थे, लेकिन में सब छुपा लेता था जैसै तुम बड़े हुए तुमने कभी भी अपनी शक्तियों का कही पर भी कैसे भी इस्तेमाल नहीं क्या था, इसलिए मुझे लगने लगा था तुम्हारी शक्तियां चली गई है।

आर्यभट्ट - आपको पता था तो आपने ये कभी मुझे बताया क्यों नहीं, ओर क्या मम्मी को भी ये मालुम है।

प्रो. - नहीं उसे कुछ नहीं मालूम, लेकिन मैंने इसलिए नहीं बताया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम कोई मुसिबत में पड़ो और वैसे भी मुझे लगने लगा था कि तुम्हारी शक्तियां चली गई है।

आर्यभट्ट ( अचानक फोन की घंटी बजती है और आर्यभट्ट फोन उठाता है ) - हैलो कौन ।

में.सुरेंद्र - आर्यभट्ट लोगों का रखवाला मुझे तुम्हारे बारे में सब मालुम है, में में.सुरेंद्र हु डरो मत मैं तुम्हारे बारे में किसी को नहीं बताऊंगा, मुझे तुम्से कुछ बात करनी है, जल्दी से सहर के पास वाले आर्मी बेस पर आ जाओ और अगर तुम्हारे बारे में किसी को भी पता है तो उसे भी लेकर आओ पर उसे ये मत बताना की में कौन हु।

आर्यभट्ट - ओके हम अभी निकल रहे हैं।

प्रो. - कौन था और तुम कहां जाने की बात कर रहै हो ।

आर्यभट्ट - कोन था ये तो में नहीं बता सकता लेकिन सिर्फ में नहीं बल्कि हम दोनों अभी सहर के बाहर वाले आर्मी बेस जा रहै है। मम्मी में और पापा बाहर जा रहे हैं।

वत्सला - ठीक है जल्दी आना।

आर्यभट्ट ( घर के बाहर से अपने पापा को लेकर उड़ते हुए आर्मी बेस के बाहर धीरे से उतर गये )

प्रो. - हम कार से भी तो आ सकते थे हम यहां आये ही क्यों है ।

आर्यभट्ट - पापा कार से आने में बोहोत टाइम लगता जिसने हमें बुलाया है वो मेरे बारे में सब कुछ जानता है। ( आर्यभट्ट और प्रो. दोनों बेस में अंदर गये )

एक आर्मी ऑफिसर - आपको किस्से मिलना है।

आर्यभट्ट - मेजर सर से।

ऑफिसर - सेकेंड फ्लोर पर लेफ्ट में सर का केविन है, आपको सर ने बुलाया है, या आप अपोंइमेंट लेकर आए हैं।

आर्यभट्ट - सर ने बुलाया है, एंड Thank you.

प्रो. ( आर्यभट्ट के साथ केविन में एंट्री लेते हैं ) - तुम यहां तुम ने हमें यहां बुलाया है लेकिन क्यों और तुम्हें आर्यभट्ट के बारे में केसे पता चला।

(बिच में) आर्यभट्ट - आप एक दुसरे को जानते है।

में. - हां हम एक दुसरे को जानते है, हम लोग दोस्त हैं और तुम्हें मेने इसलिए बुलाया है क्योंकि मुझे तुम्हें एक काम है, लेकिन काम जानने से पहले ये जान लो की तुम्हारे बारे में मुझे केसे पता चला, तुम्ने जब 2 महीने पहले उस लुटेरे को हवा में उड़ा उड़ा कर मारा था वो वहीं के एक केमरा में रिकॉर्ड हो गया था मुझे जब पता चला तो मेने वो रिकॉर्डिंग डिलीट करवा दी तुम्हारी सारी इंफोर्मेशन निकाली पता चला तुम तो मेरे ही दोस्त के बेटे हो और तुम्पर नजर रखि।

आर्यभट्ट - नजर रखी लेकिन क्यो आपने मुझे तभी क्यों नहीं बुलाया।

में. - क्योंकि मैं जानना चाहता था कि तुमसे मुझे जो काम है वो तुम करना चाहोगे या नहीं और तुम उसके काबिल हो या नहीं।

आर्यभट्ट - तो अब क्यों बुलाया है अब में ये क्यों करना चाहुंगा और क्या अब में इसके काविल हुं।

में. - नहीं अभी तुम पुरी तरह से इसके काविल नहीं हुए, लेकिन अब तुम लोगों के रखवाले बन गए हो तो तुम ये जरुर करोगे और हम तुम्हें पुरी तरह से काविल बना देंगे।

आर्यभट्ट - ऐसा क्या काम है, और आपने ऐसे किसी को क्यों बुलाया जो मेरे बारे में जानता हो।

में. - क्योंकि किसी को तो इस बारे में पता होना चाहिए की तुम कहां हो ताकी वो तुम्हारी मद्द कर सके जिससे तुम ये झुंपा सको की तुम कोन हों।

और तुम्से मुझे ये काम है कि तुम अकेले नहीं हो जिसके पास शक्तियां हैं और इस दुनिया को Superheroes की जरूरत है जो इसे बचा सके तुम्हे उन्हें यहां लाना है, ताकी तुम सब एक टीम बना सको और एक दुसरे के साथ मिलकर इस दुनिया को बचा सको।

आर्यभट्ट - लेकिन में ही क्यों मुझे उन्हें यहां क्यों लाना है।

में. - क्योंकि वो तुम्हीं हो जो इनको लिडर की तरह एक साथ रख सकता है, वेसे हर इंसान सुपरहीरो बनने के बाद अपना एक अलग नाम रखता है, तो तुमने क्या रखा है।

आर्यभट्ट - मैंने कोई नाम नहीं रखा इसलिए मेने कहा था लोगों का रखवाला।

में. - आज से तुम्हारा नाम होगा, Captain Chakara, और तुम्हारा पहला मिसन है, राम तुम्हें उसे यहां लेकर आना है।

आर्यभट्ट - राम कोन हैं, और वो मुझे कहा मिलेगा।

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Tanu

Tanu

Bohot Achche Sir

25 सितम्बर 2022

1
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द बोर्न ऑफ सुपरहीरो पार्ट - 1
5.0
लेखक - रोहन विश्वकर्मा कोपिराईट© - 2022 चकरा कोमिक्स All Rights Reserved. चेतावनी यहा दिखाई गये सभी पात्र काल्पनिक है, यदी किसी पात्र से आपका नाम या कुछ भी समान है तो , यह महज एक संयोग है, और इससे ज्यादा कुछ नहीं। केरेक्टर्स - 1.आर्यभट्ट - Captain Chakara सुपरहीरो 2. प्रो.कुमार - आर्यभट्ट के पिता जो एक साइंटिस्ट है। 3. वत्सला - आर्यभट्ट की माता 4. मानस - आर्यभट्ट का दोस्त 5. मे.सुरेंद्र - आर्मी ऑफिसर Origin 1. आर्यभट्ट - उर्फ लेमोर सुपरहीरो - अद्भुत शक्तियों के साथ पेदा हुआ है, तेज दिमाग और जिनियस है, जब उसे अपनी शक्तियों के बारे में पता चला तो, उसने अपनी शक्तियों के साथ लोगों की मद्त करने के लिए खुद को एक सुपरहीरो बना लिया, उसके पिता को उसने सब कुछ बताया और उन्होंने उसको नाम दिया, Lamor आगे जाके Lamor बना Captain Chakara क्योंकि एक वोही था, जो Captain बनकर सारे सुपरहीरो को संभाल सकता है, उसे अभी तक ये नहीं मालूम की उसको ये शक्तियों कहा से मिली है। आर्यभट्ट ( सड़क पे चलते हुए ) - मानस आज मुझे पापा की बोहोत याद आ रही हैं, वो बोहोत दिनों से सेंटर लेब गये है लेकिन उन्होंने फोन भी नहीं किया है। मानस - कोई बात नहीं तुझे तो पता है ना वो सहर के सबसे बड़े साइंटिस्ट है, और वो बोहोत सारी खोज करते रहते हैं। आर्यभट्ट - में जानता हु, वो इन सब मैं इतना खो जाते हैं कि उन्हें कुछ याद नहीं रेहता अच्छा चलो में चलता हूं, कल मिलते हैं। मानस - ठिक है , कल मिलते हैं बाय । आर्यभट्ट ने टीवी ओन कि और उसपे न्यूज आ रही थी सेंटर लेब पर आतंकवादी हमला हुआ है, वत्सला - आर्यभट्ट बेटा तेरे पापा तो कई दिनों से वही है , उनको कुछ हो न जाये में क्या करूं अब। आर्यभट्ट - मम्मी पापा को कुछ नहीं होगा आप एक काम करो आप मन्दिर चले जाओ में पुलिस से बात करता हूं , वहां क्या हो रहा है। वत्सला - ठीक है बेटा। आर्यभट्ट ( खुद से )- मम्मी को मन्दिर तो भेज दिया अब मुझे पापा को बचाने जाना चाहिए। सेंटर लेब आतंकवादी - प्रो. कुमार जल्दी से हमें बता दो जो हतीयार तुम बना रहे हो, वो कहां है। आगे कि कहानी के लिए हमें फॉलो करें ।

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