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आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ।

12 सितम्बर 2015

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आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ। मुझे हर क्षण मिलती हुई ऊर्जा के सबूतों पर जी रहा हूँ। मैं एक कदम बढ़ाता हूँ, खुश होता हूँ .. फिर उसका स्वाद लेकर, मैं एक कदम और बढ़ाता हूँ.... इस तरह, खुद कि खिदमतों पर जी रहा हूँ... आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ। सुबह ध्यान की गहराइयों में शेंध मारता हूँ चुपके से निकल फिर, संगीत साधता हूँ, एक बचपन मेरा फिर सा जागा हैं, अब मैं तितलियों के पीछे भागता हूँ, ये सब क्यों हो रहा हैं मेरे साथ, शायद..... अब मैं बचपन की जरूरतों पर जी रहा हूँ, आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ। मैंने त्याग दिया अपना हठ, जो मुझे तथाकथित बुद्धिजीवी बनाता था, मेरे अहंकार के विलुप्त होने पर, मेरे भीतर की भटकन के जब्त होने पर, सारा अस्तित्व प्रेम से सिक्त होने पर, अब मैं पुनः अपनी शर्तों पर जी रहा हूँ आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ। मुझे हर क्षण मिलती हुई ऊर्जा के सबूतों पर जी रहा हूँ।
अभिषेक मनु

अभिषेक मनु

बहुत अच्छा

13 सितम्बर 2015

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रचनाएँ
nawanjash
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अनंत की यात्रा. अनंत की साधना

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