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naveenjoshi

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मेरी अभिव्यक्ति मेरी खोज का निचोड़ है!

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जहाँ जमीं और आसमान दोनों साथ चलते हैं...

13 सितम्बर 2015
5
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मैंने जिंदगी भर शिकायतें की, मेरा जीवन नरक बन गया...मेरा जीवन कुछ पीछे सरक गया...जब मैंने खुद की शिकायतखुद से की...तो जीवन पुष्प खिल उठा.....आनंद जीवन में शामिल हो उठा,प्रेम की भाषा सीख गया, मानो आह्लाद की बारिश में भीग गया....हाँ कुछ कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ!मैंने जिंदगी भर, लोगों में एक अलगाव देखा,

अब रह रह गुस्सा मुझे आता नही है

12 सितम्बर 2015
3
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अब रह रह गुस्सा मुझे आता नही है,सब कुछ ठहरा हुआ, कुछ जाता नही हैकुछ पल हैं जो ख़ामोशी लेकर आते हैं,वरना पल कोई अब व्यर्थ जाता नही है!!मैं अब शिकायती नही किफायती हो गया हूँपहले थोडा सा बदमाश था, अब शरीफ निहायती हो गया हूँवैसे अब यात्रा का आनंद ही कुछ और है....जब उम्र के इस पड़ाव पर मैं, बच्चा शरारती हो

आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ।

12 सितम्बर 2015
2
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आजकल मैं अहसासोंके बलबूतों पर जी रहा हूँ।मुझे हर क्षण मिलती हुई ऊर्जा के सबूतों पर जी रहा हूँ।मैं एक कदम बढ़ाता हूँ,खुश होता हूँ ..फिर उसका स्वाद लेकर,मैं एक कदम और बढ़ाता हूँ....इस तरह, खुद कि खिदमतों पर जी रहा हूँ...आजकल मैं अहसासोंके बलबूतों पर जी रहा हूँ।सुबह ध्यान की गहराइयों में शेंध मारता हूँचु

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