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आस्था

2 अप्रैल 2019

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हे ईश्वर , यदि तुम हो,तो कहो

कौनसा अपराध ऐसा हुआ?

जिसका दंड ऐसा मिला ?

तुमने ही कहा था, पत्ता भी न हिलेगा

बिन इच्छा के तुम्हारे, अर्थात

किया तो ये तुमने ही है,

तनिक भी मन विचलित न हुआ तुम्हारा?

कहते हो हम सब तुम्हारे बच्चे हैं,

फिर किस तरह तुम इतने निर्दयी हुए?

हेईश्वर , यदितुमहो,तो सुनो

आस्था अटूट थी, पर

अब तुम्हारा अस्तित्व भी स्वीकार्य नहीं |



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