नवीन करने की उमंग रखो,
स्वप्नो को पुरा करते रहो।।
भुत के भ्रम को देखो नही,
भविष्य को भी समझो अभी।।१।।
जो हो गया वह फिर नही,
आने वाला कल है अभी।।२।।
देश भुत मे जा सकता नही,
स्वर्ण-चिढ़ी निर्माण नामुमकिन अभी।।३।।
ये सपने है लकीरे पानी की,
पुजना हैं सिर्फ वर्तमान अभी।।४।।
निराशाओ का व्यर्थ चिन्तन नही,
आशा की डोर बन्धी है अभी।।५।।
बाल विवाह, सती प्रथा अब नही,
लड़ना है भ्रष्टाचार, दंगो से अभी।।६।।
दुग्ध-दही की नदियां बहना सम्भव नहीँ,
पावन-पुज्यित सरिताओ को बचाना है अभी.......।।७।।
हवाई किले बन पाते नही,
व्यर्थ उनके बारे मेँ चिन्तन अभी।।८।।
सपने ऐसे हो जो साकार कर सको स्वयं,
परन्तु न हो विचार 'मन के लड्रडु फीके क्यो' अभी।।९।।