अभिजीत साहू
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'फिर निकल पड़ा हूँ तेरी तलाश में, तू मुझमे ही है या गुमशुदा हूँ मैं ।' © अभिजीत,'फिर निकल पड़ा हूँ तेरी तलाश में, तू मुझमे ही है या गुमशुदा हूँ मैं ।' © अभिजीत
kuchtumhareliye
लिखने को बहुत कुछ है और बताने को सैकड़ों किस्से , कमी है तो बस एक वक्त की ... जानता हूँ जितना मेरे पास है उससे कही कम तुम्हारे पास पर
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<p>लिखने को बहुत कुछ है और बताने को सैकड़ों किस्से , कमी है तो बस एक वक्त की ... जानता हूँ जितना मेरे पास है उससे कही कम तुम्हारे पास पर
तुम हर हाल में विजेता हो शायद अब तस्वीर बदले
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