इम्तहान/परीक्षा शब्द अपने आपने आप में एक भारी भरकम शब्द है । आमतौर पर इसका इस्तेमाल डराने के लिए किया जाता है पर यह अपना भयावह रूप तब अख्तियार करता है जब इसके पहले प्रतियोगिता शब्द जुड़ता है । इस शब्द के लगते ही एकदम से जीने और मरने का सवाल पैदा हो जाता है और जब बात सिविल सेवा की हो तो सिर्फ मरने की क्योंकि जीना तो कब का छोड़ चुके होते हैं सिविल सेवा की तैयारी करने वाले । कल सुबह लाखो चेहरे एक लाल बत्ती की उम्मीद में उठेंगे । बिना किसी भय के बिना किसी डर के हजारों लोग आखरी बार इस पार या उस पार की लड़ाई लड़ेंगे जिनमे से सैकड़ों की नैय्या पार भी लगेगी । वैसे तो मुखर्जी नगर वाले खुद को इतना घिस चुके होते है कि मुझ जैसे लल्लू पंजू को कोई ज्ञान देने की जरूरत नहीं , पर भाई समझ के बोल रहा हूँ , सुन लो , डरने का नहीं , एग्जाम ही है कोई बकासुर नहीं । जाओ जा के फोड़ डालो । #बेस्ट_ऑफ_लक_फॉर_सीसैट_2016