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कुछ तुम्हारे लिए : प्रेम रंग में डूबी हुई कविताएँ । जयेन्द्र कुमार वर्मा की समीक्षा

26 जुलाई 2016

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प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम के अभाव में जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है। प्रेम ही व्यक्ति में जीवन के प्रति मोह उत्पन्न करता है। प्रेम ही व्यक्ति में सपने जगाता है। रंग-विरंगे सपने। और उन सपनों में डूबकर मन अनायास ही गाने लगता है, गुनगुनाने लगता है, मचलने लगता है, चहचहाने लगता है, फुदकने लगता है। और यही सपने जब यथार्थ की कठोर चट्टान से टकराकर दरक जाते हैं तो मन उदास हो जाता है, निराश हो जाता है, रंग बेरंग हो जाते हैं, फूल चुभने लगते हैं, ओस की बूँदों में आँसू दिखने लगते हैं, शीतल हवा आग लगाने लगती है, रिमझिम बारिश भी दहकाने लगती है। मन पंछी आवारा हो उठता है, फड़फड़ाने लगता है। वह कभी उड़कर सुनहरे अतीत में पहुँचकर राहत की साँस लेता है, कभी वर्तमान में आकर आँसू टपकता है और कभी भविष्य की यात्रा करता हुआ अनोखे लोक में पहुँच जाता है।

 कविता संग्रह 'कुछ तुम्हारे लिए' को पढ़ते हुए मन प्रेम की इन्हीं अनुभूतियों से गुजरता है। संग्रह में कुल 69 कविताएँ संकलित है। एक गजल और दो-चार कविताओं को छोड़कर शेष सभी अतुकान्त कविताएं हैं। किन्तु इनकी अतुकान्तता में भी एक तुक है, एक लय है, एक ताल है।

आइये, संग्रह की कविताओं में प्रेम के कुछ रंगों को देखते हैं, परखते हैं, टटोलते हैं, महसूस करते हैं-

'मुहब्बत' कविता में साथ जीने-मरने की चाह देखिये-

"सोचता हूँ मैं कि
कभी तुम्हारे हाथों को थाम
दरिया किनारे बैठ
खा लूँ कसम साथ जीने-मरने की
बना लूँ तुम्हें अपना
ना सिर्फ इस जन्म के लिए
बल्कि अगले कई जन्मों तक
बँध जाऊँ तुम्हारे साथ
एक अटूट बंधन में।"

'प्यार का एहसास' कविता कहती है कि प्यार में एहसास की बहुत बड़ी भूमिका है-

"तेरे पास होने का एहसास ही
मुझे पूर्ण बना देता है
क्योंकि प्यार में पा लेना ही
सब कुछ नहीं
पा लेने का एहसास ही
बहुत कुछ होता है।"

'क्यों' कविता में प्रेम के एहसास को महसूस करें-

"जब कभी हवा का कोई झोंका
रजनीगंधा की खुशबू लिए
मेरे पास से गुजरता तो लगता
जैसे तुमने मेरा आलिंगन किया हो
और तब तुम्हारे वजूद के एहसास से
मेरी धड़कने बढ़ जाती हैं।"

'अजनबी' कविता की यह पंक्तियाँ कहती हैं कि प्रेम, निराशा में आशा के नये रंग भर देता है-

"तुम आये मेरी हिम्मत बढ़ाने उन पलों में
जब निराश हो मैं सोचने लगा था
खत्म हो चुका है सब-कुछ
तुमने कहा-अभी बाकी है आने वाला कल।"

'तुम फिर याद आ रही हो' कविता, सावन की फुहार में भीगते प्रेम की याद ताजा करा जाती है-

"फिर घिर आए हैं बादल
तड़तड़ा रही है बिजली
हो रही है बारिश और भीगता हुआ मैं
याद कर रहा हूँ सावन की वो पहली फुहार
जब भीगे थे हम दोनों एक साथ।"

प्रेम में प्रदत्त छोटी-छोटी चीजें भी बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। 'कॉफी का मग' कविता में यह बात बड़े सरल ढंग से कही गयी है-

"पता नहीं मुझे आदत हो गयी है कॉफी की
या मुझे पसंद है सिर्फ कॉफी का मग
शायद मैं हमेशा थामे रखना चाहता हूँ मग
बस इसलिए कि तुमने दिया था बड़े प्यार से।"

'चलो आज फिर' कविता, प्रेम में डूबे मन को मुड़कर देखने के लिए कहती है-

"चलो आज फिर लिख देता हूँ
तुम्हारा नाम इन कोरे कागजों पर
तुम हमेशा की तरह काट दो उसे कुछ ऐसे
कि दिखाई न दे किसी को
बस देख सकूँ मैं, और समझ सको तुम।"

संग्रह की एकमात्र 'गजल' के एक शेर में प्रेम को पढ़िए-

"मत करो कोई भी शिकायत मेरी, खुदा से मेरे
मैं जो चुप हूँ तो बस उसको ही बचाने के लिए।"

'आखिरी खत' कविता में प्रेम के रंग देखिये जरा-

"पीला पड़ चुका ये कागज का टुकड़ा
सिर्फ कागज नहीं
है बहुत कुछ
शायद एक जिन्दगी
बस वही जिन्दगी भेज रहा हूँ लिखकर
जिये थे जिसके कुछ पल हमने एक साथ
जिन्दा रहें जो मेरे बाद भी
मेरे इस आखिरी खत में।"

'पहला प्यार' कविता, इस सत्य को उद्घाटित करती है कि जीवन में पहली बार होने वाली बातें कभी नहीं भूलतीं-

"पहला होता है कुछ खास
बना रहता है यादों का हिस्सा उम्र भर
जैसे याद है आज भी मुझको
उस खत का एक-एक हर्फ
लिखा था जो तुमने मुझे पहली बार।"

'कुछ तुम्हारे लिए' कविता यह बताती है कि प्रेम में डूबे मन, एक-दूसरे से कुछ कहने के लिए हमेशा नये शब्दों की तलाश में भटकते रहते हैं-

"मिल नहीं रहे हैं शब्द
जिन्हेँ श्रृंगार रस से बाँध
लिखूँ एक गीत, जिसमें हो
स्नेह, अपनत्व, प्रेम
उतना ही जितना है तुम्हारे भीतर
अनंत आकाश सा जिसका नहीं है
कोई भी ओर-छोर।"

जीविका चलाने के लिए लोग नौकरी करते हैं, किन्तु कई बार नौकरी भी प्रेम सम्बन्धों में बाधक बन जाती है और जीवन में खटास घोल देती है। 'ये नौकरी' कविता की ये पंक्तियाँ देखें-

"सच, इस दो-टकिए की नौकरी ने
दिया हो भले ही बहुत कुछ
पर छीन लिया है मुझे तुमसे।"

'अब लौट भी आओ' कविता में प्रेम की झलक देखें-

"जब देखती हूँ आसमान में चाँद को चमकते
जब बरसता है सावन पहली बार
आती है मिट्टी से सोंधी-सी खुशबू
तब महसूस होती है तुम्हारी कमी।"

इस प्रकार कविता संग्रह 'कुछ तुम्हारे लिए' में प्रेम तत्व की प्रधानता है। हलांकि प्रेम शब्दों से परे है, फिर भी कवि, प्रेम को शब्दों में ढालने में निपुण हैं। उनमें असीम ऊर्जा है। यह उनका पहला संग्रह है। विश्वास है कि उनके अगले संग्रह में प्रेम के अन्य रंगों की छटा भी अवश्य दिखाई पड़ेगी।

हिन्द युग्म प्रकाशन भी बधाई का पात्र है। उसने नवयुवकों की ऊर्जा को देखा-परखा और अभिजीत जैसे ऊर्जावान कवि को मंच प्रदान किया। यह सराहनीय कार्य है।
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@ जयेन्द्र कुमार वर्मा
( हिन्दी प्रवक्ता )
नगर पालिका नेहरू इण्टर कालेज,
बिन्दकी, फतेहपुर-212635
(उत्तर प्रदेश)



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रचनाएँ
kuchtumhareliye
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लिखने को बहुत कुछ है और बताने को सैकड़ों किस्से , कमी है तो बस एक वक्त की ... जानता हूँ जितना मेरे पास है उससे कही कम तुम्हारे पास पर ये बाते सिर्फ मेरी तो नहीं इसमें काफी कुछ तुम्हारा भी है ,तो अब जब हम साथ बैठ नहीं पाते, चाय पर गप्पे नहीं लड़ा सकते तो क्या उन अनगिनत शामों के हवाले से मैं इतनी सी गुजारिश नहीं कर सकता की तुम अपनी सहूलियत से अपने वक्त पर आओ और फिर से सुनने सुनाने का रूठने मनाने का वो सिलसिला चालू करो जो बंद है महज रोटी के चक्कर में ...
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