ग़रीब और मध्यवर्गीय लोग पैसे के लिए काम करते हैं। अमीर लोग पैसे से अपने लिए काम कराते हैं।
"डैडी, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि अमीर कैसे बना जाता है?"
मेरे डैडी ने शाम का अख़बार नीचे रख दिया। "बेटे, तुम अमीर क्यों बनना चाहते हो?"
“क्योंकि आज जिमी की मम्मी उनकी नई कैडिलैक में आई थीं और वे वीकएंड पर मौज-मस्ती करने के लिए उनके समुद्र तट वाले घर जा रहे थे। वह अपने तीन दोस्तों को साथ ले गया, लेकिन माइक और मुझे नहीं ले गया। उन्होंने हमसे कहा कि हमें इसलिए आमंत्रित नहीं किया गया, क्योंकि हम ग़रीब हैं।"
"उन्होंने ऐसा कहा?" मेरे डैडी ने अविश्वास में पूछा। “हाँ, ऐसा ही कहा,” मैंने आहत अंदाज़ में जवाब दिया।
मेरे डैडी ने ख़ामोशी में अपना सिर हिलाया, अपना चश्मा नाक के पुल तक चढ़ाया और दोबारा अख़बार पढ़ने लगे। मैं जवाब के इंतज़ार में खड़ा रहा।
यह 1956 की बात थी। तब मैं नौ साल का था। संयोग से मैं उसी पब्लिक स्कूल में पढ़ता था, जहाँ अमीर लोगों के बच्चे पढ़ते थे। हमारा निवास हवाई में मूलतः शुगर प्लांटेशन, यानी गन्नों के बागान वाले कस्बे में था। बागान के मैनेजर और कस्बे के बाक़ी अमीर लोग, जैसे डॉक्टर, व्यवसाय के मालिक और बैंकर अपने बच्चों को इसी प्रारंभिक स्कूल में भेजते थे। छठे ग्रेड के बाद उनके बच्चों को आमतौर पर प्रा- इवेट स्कूलों में भेज दिया जाता था। चूँकि मेरा परिवार सड़क के इस तरफ़ रहता था, इसलिए मैं इस स्कूल में गया। अगर मैं सड़क के दूसरी तरफ़ रहता, तो मैं एक अलग स्कूल में जाता, जहाँ मेरे जैसे परिवारों के बच्चे पढ़ते थे। छठी ग्रेड के बाद मुझे इन्हीं बच्चों के साथ सरकारी ई- टरमीडिएट और हाई स्कूल जाना था। उनके या मेरे लिए कोई प्राइवेट स्कूल नहीं था।
मेरे डैडी ने आख़िरकार अख़बार नीचे रख दिया। मैं जानता था कि वे सोच-विचार कर रहे थे।
“देखो, बेटे..." उन्होंने धीरे-धीरे शुरू किया। "अगर तुम अमीर बनना चाहते हो, तो तुम्हें पैसे बनाना सीखना होगा।" मैंने पूछा, "मैं पैसे कैसे बनाऊँ?”
उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "देखो बेटा, अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करो।" तब भी मैं उनका असली मतलब समझ गया था, "मैं तुम्हें इतना ही बताने वाला हूँ," या "मुझे जवाब नहीं मालूम, इसलिए खामख़्वाह शर्मिंदा मत करो।"
एक साझेदारी बन जाती है
अगली सुबह मैंने अपने सबसे अच्छे मित्र माइक को बताया कि मेरे डैडी ने क्या कहा था। जहाँ तक मैं जानता था, सिर्फ माइक और मैं ही उस स्कूल में पढ़ने वाले ग़रीब बच्चे थे। माइक भी संयोग से ही इस स्कूल में पढ़ रहा था। किसी ने कस्बे में स्कूलों की एक विभाजक रेखा खींच दी थी और इसी वजह से हम अमीर बच्चों वाले स्कूल में आ गए थे। वैसे हम वाक़ई ग़रीब नहीं थे, लेकिन हमें ग़रीबी का अहसास होता था, क्योंकि बाक़ी सभी लड़कों के पास बेसबॉल के नए दस्ताने, नई साइकलें, हर नई चीज़ होती थी।
मम्मी-डैडी हमें रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सभी बुनियादी चीजें मुहैया कराते थे, लेकिन बस इतना ही। मेरे डैडी कहा करते थे, "अगर तुम कोई चीज़ चाहते हो, तो उसके लिए काम करो।" हम चीजें तो बहुत सारी चाहते थे, लेकिन नौ साल के लड़कों के लिए ज्यादा काम उपलब्ध नहीं था।
माइक ने पूछा, "तो पैसे बनाने के लिए हम क्या करें?" “मैं नहीं जानता,” मैंने कहा। “लेकिन क्या तुम मेरे साझेदार बनोगे?"
वह मान गया और शनिवार की उस सुबह माइक मेरा पहला कारोबारी साझेदार बन गया। हम सुबह से लेकर दोपहर तक सोचते रहे कि पैसा कैसे बनाया जाए। कभी-कभार हम उन 'अमीर बच्चों के बारे में बातें करने लगते थे, जो जिमी के समुद्र तट वाले घर पर मज़े कर रहे होंगे। इससे दिल थोड़ा दुखता था, लेकिन वह दर्द अच्छा था, क्योंकि इसने हमें पैसे बनाने का तरीक़ा सोचते रहने के लिए प्रेरित किया। आख़िरकार, दोपहर को अचानक हमारे दिमाग़ में बिजली कौंधी। यह एक ऐसा विचार था, जो माइक को विज्ञान की एक पुस्तक में मिला था, जिसे उसने पढ़ा था। रोमांचित होकर हमने हाथ मिलाए और अब हमारी साझेदारी के पास एक कारोबार आ गया था।
अगले कई सप्ताह माइक और मैं आस-पास के इलाक़े में इधर-उधर दौड़ते रहे, दरवाज़े खटखटाते रहे और पड़ोसियों से पूछते रहे कि क्या वे अपने इस्तेमाल किए हुए टूथपेस्ट ट्यूब हमारे लिए रख सकते हैं। हैरानी के भाव के साथ ज्यादातर वयस्कों ने मुस्कराते हुए हाँ कर दी। कुछ ने हमसे पूछा कि हम उनका क्या करेंगे। इसके जवाब में हमने कहा, "हम आपको नहीं बता सकते। यह एक कारोबारी रह- स्य है।”
जैसे-जैसे सप्ताह गुज़र रहे थे, मेरी मम्मी का कष्ट बढ़ता जा रहा था। अपने कच्चे माल को इकट्ठा करने के लिए हमने जो जगह चुनी थी, वह उनकी वॉशिंग मशीन के पास थी। यह एक भूरा कार्डबोर्ड बॉक्स था, जिसमें कभी केचप की बोतलें रखी जाती थीं। अब उसमें टूथपेस्ट ट्यूब्स का हमारा छोटा सा ढेर बढ़ने लगा।
आख़िरकार मेरी मम्मी के सन्न का बाँध टूट गया। पड़ोसियों की गंदी, मुड़ी-तूड़ी इस्तेमाल हो चुकी टूथपेस्ट ट्यूब्स को देख-देखकर उनका दिमाग़ ख़राब हो गया था। उन्होंने पूछा, "तुम लोग क्या कर रहे हो? और मैं यह दोबारा नहीं सुनना चाहती कि यह एक कारोबारी रहस्य है। इस कचरे को साफ़ करो वरना मैं इसे बाहर फेंक दूंगी।"
माइक और मैंने हाथ-पैर जोड़कर उनसे मोहलत माँगी। हमने उन्हें बताया कि हमारे पास जल्द ही पर्याप्त ट्यूब्स हो जाएँगी और फिर हम उत्पादन शुरू कर देंगे। हमने उन्हें जानकारी दी कि हम दो-तीन पड़ोसियों का इंतज़ार कर रहे हैं, जिनकी टूथपेस्ट ट्यूब्स ख़त्म होने वाली थीं और हमें मिलने वाली थीं। मम्मी ने हमें एक सप्ताह की मोहलत दे दी।