0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
अंधकार से भरे जीवन में अभी भी एक कोना दीप्तिमान है, रोज की उधेड़बुन के बीच अभी भी सुकून की दरकार है , कई सपने टूटे पर अभी भी बहुत से सपने उड़ने को बेकरार हैं, यूं तो इस चंचल मन पर कई चोटों के निशान