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अफवाह और स्त्री

5 अक्टूबर 2021

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स्त्री लड़ लेती हैं विपत्तियों से
कर लेती हैं सामना मृत्यु का
अपने परिवार को बचाने के लिए।

इन विपत्तियों  की आहट को
सुन लेती है अपने दिल में बैठी भावुकता से
इसलिए करती है प्रार्थना और उपवास।

हर संकट से बचाव के तरीकें उसे मालूम हैं
वह जानती है कि कब कौन सी पूजा से
उसके घर में शांति आयेगी।

वह जानती है कि कब कौन से टोटके से
विपत्ति उलटे पैर लौट जायेगी
इसलिए याद रखती है, मिर्च और नमक भी।

जल्दी मान लेती हैं ये
अंधविश्वास को श्रद्धा भी क्योंकि
 उसकी श्रद्धा बचा रही है उसके अपनों को।

तर्क उसके सामने दम तोड़ देते हैं
स्त्री के डर को स्त्री के साथ छोड़ देते हैं
और स्त्री खुश हो जाती है भय को धकेल कर।

उसके इस भावुक हृदय से
विवेक दूर रहता है तभी तो
हर अफवाह पर, वह खुद को छिपा लेता है।

दिव्या शर्मा।

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