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सुरक्षित दिन

30 सितम्बर 2021

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सुरक्षित दिन

"माला …माला... माँ बुला रही है...।"माला को आवाज़ लगाते हुए सुंदर कमरे के अंदर आया।
माला बिस्तर पर चादर ओढ़े लेटी हुई थी।यह देखकर सुंदर अपनी कमर पर हाथ रखकर बुदबुदाता है,

"अच्छा…!अब तक सो रही हैं और जब मुझे नींद आती है तो डाँट कर उठा देती हैं।
अभी बताता हूँ।"कहकर सुंदर ने माला के कान के पास आकर जोर से कहा,

" स्कूल नहीं जाना क्या?"

"मेरी तबीयत ठीक नहीं है। भाई तू जा...परेशान मत कर।"

"ये हर महीने क्या हो जाता है तूझे?हर महीने बीमार पड़ जाती हो...माँ को बताता हूँ।"
कहकर सुंदर कमरे से बाहर माँ को आवाज लगाते हुए निकल जाता है।
माला अपने पेट को अपनी बाँहों से लपेटकर टाँगे सिकोड़ लेती है और करहाने लगती है।

इधर सुंदर,माँ के पास जाकर कहता है,

"माँ...सुन...ये माला को क्या हो जाता है हर महीने!फिर पड़ी है बिस्तर पर।डॉक्टर को दिखाओ  माँ।" 

सुंदर की बात सुनकर माँ उसकी तरफ देखती है और कहती है,

"इसके लिए डॉक्टर को दिखाने की जरुरत नहीं है।हर लड़की के साथ ऐसा होता है।" माँ ने कहा।

"मैं समझा नही माँ?"सुंदर ने आश्चर्य से कहा।

"मैं माला को देखती हूँ तू गरम पानी और अजवाइन की फंकी लेकर आ उसके लिए।"

इतना कहकर माँ,माला के कमरे में चली जाती है और माला को ऐसे करहाते देख उसके सिर पर हाथ फेरने लगती है।

"माँ...क्यों दर्द होता है हर महीने?क्या जरूरी है यह महीना होना।"माला तडपते हुए बोलती है।

"ले...जरूरी न होता तो भगवान औरत को यह दर्द देते क्यों?"माँ ने कहा।

तभी सुंदर पानी और कटोरी में अजवाइन की फंकी लेकर आ जाता है और माँ को देकर पूछता है,

"कैसा दर्द माँ...क्या हुआ माला को?"

"उसे महावारी आई है… हर महीने आती है...।"माँ ने कहा तो माला थोडी असहज हो गई।

"अच्छा....मैं समझ गया मेरे कोर्स में भी है ये...अब समझा।"सुंदर ने कहा।
"तो अब तो समझ गया होगा कि माला को क्या हुआ तो अब तू उसे परेशान न करीयो।"माँ ने कहा।

"माँ भाई क्यों बता रही हो?"माला  हिचकते हुए कहती है।

"अरे...उसे बताने में क्या दिक्कत है?उसे भी पता होना चाहिए कि औरत हर महीने किस तकलीफ से गुजरती है।"माँ ने माला को पानी और अजवाइन पकडाते हुए कहा।

"तेरे पास पैड भी तो खत्म हो गए होंगे?मैं तो भूल गई थी लाना।"माँ ने अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा।

"क्या बात हो रही है सुंदर के सामने ! ऐं तुम माँ बेटी को शर्म नहीं है क्या?" दरवाजे पर खड़ी दादी ने गुस्से से कहा, और अंदर चली आई।

"सरला…अक्ल पर पत्थर पड़े हैं तेरे?छोरे के सामने उसकी बहन की महावारी… और तू यहाँ बैठा लुगाई बन रहा है पढ़ने नहीं जाना?" दादी गुर्रा कर बोली।

"पर दादी मुझे तो पता है… हमारी मैड़म ने पढ़ाया था हमें साइंस में।" सुंदर ने कहा।

"बेशर्म हो गए सब के सब!निकल चल यहाँ से।… और तू...यहीं अपने कमरे में रहिये।यूँ नहीं कि डोलती फिरे...रसोई में घर में...।समझा रही हूं।" दादी ने माला और सुंदर को डाँटते हुए कहा।

सुंदर उठकर जाने लगता है तो माँ उसे रोकती है और कहती है,

"अभी स्कूल जाने में टाइम है तू भाग कर कौशल्या चाची की दुकान से पैड खरीद ला।"

"ऐ पागल…,यह लायेगा!हँसी क्यों बनवा रही छोरे की?" दादी ने कहा।

"इसमें कैसी हँसी अम्मा! सुंदर चोरी करने जा रहा है या कोई बुरा काम करने! वह तो अपना सच्चा भाई होने का फर्ज निभा रहा है...। यह सब बातें छोड दो अम्मा।" इतना कहकर माँ ने पल्लू से पैसे निकालकर सुंदर को पकड़ा दिए।

सुंदर चला गया।
दादी उसे जाते देखती रह जाती है।

"अम्मा… एक औरत इन दिनों के कष्ट सबसे ज्यादा समझ सकती है फिर वह क्यों दूसरी औरत के दर्द पर सख्त हो जाती है?
याद करो अम्मा अपने समय को।कितनी तकलीफ होती थी इन दिनों परिवार से अलग अकेले दर्द में तड़पते।"
सरला ने कहा।

दादी ने सरला की बात सुनकर माला की ओर देखा जो दर्द के कारण अपने पेट को पकड़े लेटी थी।
दादी के चेहरे पर चिंता उभर आई वह माला के पास आकर उसके सिर पर हाथ फेरती है और सरला को कहती है।

"तू इसका ध्यान रख...मैं दवा बना लाती हूँ।
ऐसी दवा दूंगी कि मेरी लाड़ो एक दम ठीक हो जायेगी और अपनी दादी के लिए चाय बनायेगी।"

दादी के मुँह से यह सुनकर सरला और माला आश्चर्य में पड़ जाती है…,

"अम्मा!माला इस हाल में आपके लिए चाय?"

"हाँ...कुछ गलत कह दिया क्या मैंने? मैं अब माला के  इन कष्ट के दिनों को सुरक्षित दिन बनाऊंगी। " मुस्कुराते हुए दादी बोली।

दादी की मुस्कान से माला के मन की पीड़ा गायब हो गई।

दिव्या शर्मा

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

शानदार🙏🙏🙏

30 सितम्बर 2021

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