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आकाशदीप

19 फरवरी 2022

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चाँद!
आज
तुम -
बहुत सुंदर दिख रहे हो।
जानते हो - कैसे?

विचारों के
घने बादलों के बीच,
मन के आकाश पर,
लुक-छिप करते,
इशारों के अनकहेपन जैसे!!

रुई के नरम टुकड़ों से,
तुम ऐसे झाँक रहे हो-
जैसे
घने जंगल की,
ऊँची वनस्पतियों के,
पत्तों से छनकर,
आसमान झाँकता है!

आकाशदीप!
जानते हो?
तुम-
शीतल क्यों हो!
तुम बाँटते हो!!
जो बाँटता है -
शीतल होता है!!!

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बचपन

12 फरवरी 2022
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मेरा बचपन जब भी जाता गाँव, दौड़कर बचपन मेरा आता है. सुबक-सुबक भीगी आँखों से, मुझको गले लगाता है। वह छप्पर-छजनी का घर, मुझे अब भी वहीं बुलाता है। जाऊँ  जब भी  गोदी में सिर रखकर मुझे सुलाता है। वह ब्रह्

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उनको सलाम !

12 फरवरी 2022
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जिंदगी को जिंदगी दे के गए जो इस जहाँ में,   जिंदगी को रोशनी देकर गए उनको सलाम!!  लाख तूफानों में रोशन ही रहे जिनके दीये,  रोशनी बुझते हुए को दे गए उनको सलाम!!  खुद बना गए लीक अरमानों को अपने मार के,

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आकाशदीप

19 फरवरी 2022
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चाँद!आजतुम -बहुत सुंदर दिख रहे हो।जानते हो - कैसे?विचारों केघने बादलों के बीच,मन के आकाश पर,लुक-छिप करते,इशारों के अनकहेपन जैसे!!रुई के नरम टुकड़ों से,तुम ऐसे झाँक रहे हो-जैसेघने जंगल की,ऊँची वनस्पतिय

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