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Avinash kesar के बारे में

Bihar government में संस्कृत शिक्षक पद पर 2013 से कार्यरत. स्वतंत्र लेखन बचपन से. रूचि :- काव्य लेखन पुस्तकें - प्रसून पंखी (प्रकाशित ) बाअदब (ग़ज़ल संग्रह ) प्रकाशित धूप और बारिश (मुक्त छंद )प्रकाशित

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Avinash kesar की पुस्तकें

बा अदब

बा अदब

'बा अदब' एक अदबी शायरी संग्रह है, जिसे ज़िन्दगी जीते हुए, ज़िन्दगी को महसूस करते हुए लिखा गया है. इसे पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगेगा जैसे आपकी ही बात को हु -ब -हु कह दी गयी है.

1 पाठक
6 रचनाएँ

निःशुल्क

बा अदब

बा अदब

'बा अदब' एक अदबी शायरी संग्रह है, जिसे ज़िन्दगी जीते हुए, ज़िन्दगी को महसूस करते हुए लिखा गया है. इसे पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगेगा जैसे आपकी ही बात को हु -ब -हु कह दी गयी है.

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Avinash kesar के लेख

न महफ़िल, न कारवाँ

21 जुलाई 2022
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हम तो अपनी हमसरी में इस तरह गाफ़िल रहे,आज तक अपना कहीं महफिल मिला, ना कारवाँ । या खुदा! जब भी तुम्हारी याद दिल को छू गई,दिल के इशारे ने चुने मोती खरे दरियाव के। नाखुदा है समझ बैठा दरिया उसके

आईना

21 जुलाई 2022
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तुम रोज इसमें इस तरह झाँका ना करो,ये आइना है टूट कर बिखर जाएगा।लबों पे दर्द की हिचकियाँ न लाना कभी,सुन के मंजर ये सारा दहल जाएगा।तूने उठा रखी जो नज़रों से कायनात की ज़मीर,कयामत में सरेआम मातम पसर जाएगा।

ज़िन्दगी हादसा है

21 जुलाई 2022
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ज़िन्दगी हादसा है, गुज़र जाता है,आदमी जीता है, मर जाता है,ज़िन्दगी में बहुत लोग मिल जाते हैं,दिल में कोई-कोई ही रह पाता है।

क्षणिकाएँ

21 जुलाई 2022
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1.मैंने उनके अपनेपन का भरम पाल रखा था।मैं उनका निकला, वे मेरे न हुए।।2.इतना अच्छा होना भी बहुत अच्छा नहीं होता......लोग हर बात में बेचारा कहा करते हैं।3.सब समंदर बने बैठे है..आओ दरिया से कुछ पानी उधार

मेरे न हुए

21 जुलाई 2022
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मैंने उनके अपनेपन का भरम पाल रखा था। मैं उनका निकला, वे मेरे न हुए।

वज़ूद

5 मार्च 2022
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माना कि खूबसूरत होता है गुलाब चमन में यारों.बहार - ए - गुलशन में वही खुदा तो नहीं होता!बहुत देखा है, ज़माने के सितारों का कमाल !सुबह होते ही जिनका कोई वजूद ना रहा।

आकाशदीप

19 फरवरी 2022
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चाँद!आजतुम -बहुत सुंदर दिख रहे हो।जानते हो - कैसे?विचारों केघने बादलों के बीच,मन के आकाश पर,लुक-छिप करते,इशारों के अनकहेपन जैसे!!रुई के नरम टुकड़ों से,तुम ऐसे झाँक रहे हो-जैसेघने जंगल की,ऊँची वनस्पतिय

उनको सलाम !

12 फरवरी 2022
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जिंदगी को जिंदगी दे के गए जो इस जहाँ में,   जिंदगी को रोशनी देकर गए उनको सलाम!!  लाख तूफानों में रोशन ही रहे जिनके दीये,  रोशनी बुझते हुए को दे गए उनको सलाम!!  खुद बना गए लीक अरमानों को अपने मार के,

बचपन

12 फरवरी 2022
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मेरा बचपन जब भी जाता गाँव, दौड़कर बचपन मेरा आता है. सुबक-सुबक भीगी आँखों से, मुझको गले लगाता है। वह छप्पर-छजनी का घर, मुझे अब भी वहीं बुलाता है। जाऊँ  जब भी  गोदी में सिर रखकर मुझे सुलाता है। वह ब्रह्

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