इस जहां में.. अकेले ही आना है अकेले ही जाना है, किस बात की उम्मीदें किस बात का फसाना है. कितने राज इस जहां में किसी ने नहीं जाना है , बस अपने पीछे कुछ निशान छोड़कर जाना है. .. नरेन्द्र जानी (भिलाई) 🚥
लघु29 अक्टूबर 2016
इस जहां में.. अकेले ही आना है अकेले ही जाना है, किस बात की उम्मीदें किस बात का फसाना है. कितने राज इस जहां में किसी ने नहीं जाना है , बस अपने पीछे कुछ निशान छोड़कर जाना है. .. नरेन्द्र जानी (भिलाई) 🚥
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मेकानिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत . खेल कूद , साहित्य , संगीत से विशेष प्रेम . पर्यटन , समाज सेवा , में रूचि . D
नरेंद्र जी एक तो कई दिनों बाद वापसी ... फिर दिवाली के पर्व पर कुछ खुशनुमा हो जाए आपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकानाएँ
29 अक्टूबर 2016