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अक्षय भण्डारी की डायरी

अक्षय भण्डारी

8 अध्याय
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akshay bhandari ki dir

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पुस्तक के भाग

1

मैं रंगोली हूॅ , मेेरा मातृभूमि पर सन्देश देना ही कार्य है

23 अप्रैल 2016
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मैं रंगोली हूॅ , मेेरा मातृभूमि पर सन्देश देना ही कार्य हैमैं रंगोली हूॅ , मेरा मातृभूमि पर सन्देश देना ही कार्य है।    मैं मातृभूमि को सजाकर     उम्मीदो के रंग भरती हूॅ ,    मैं रंगोली रंगो से     सजकर मातृभूमि को     श्रृंगारित करती हूॅ।मैं रंगोली हूॅ मेेरा मातृभूमि पर सन्देश देना ही कार्य है।   

2

कब जायेगा व्यापमं का असल अपराधी जेल में..???

23 अप्रैल 2016
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कब जायेगा व्यापमं का असल अपराधी जेल में..???मध्यप्रदेश में कैसी गढ़ी व्यापमं की माया है,...देखो लोगो के होठों पर बस यही गीत आया है..!!असल कौन है, इसके षडयंत्र कारी कौन है,...व्यापम पर राजनिति चल रही कि भारी कौन है..??बस यू ही कब तक चलेगा यह खेल खेल में,...सच क्या है, कब जायेगा व्यापमं का असल अपराधी

3

भारत को स्वच्छता बनावें

23 अप्रैल 2016
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 भारत को स्वच्छता बनावेंभारत को स्वच्छता बनावें। सुख शांति का फल पावे ।घर पर ना गदंगी होवे। रास्ते पर पड़ा कचरा गदंगी ना फैलावें।रोज तूम झाडू लगाना। रोज तुम तो गंदगी भगाना।स्वच्छ भारत का नाम जपे कोई । उसे मिले गंदगी से छुटकारा।रोज तुम्हारे पास गदंगी होवे । जहा राक्षस प्रजाति के मच्छर होवें।मच्छर बड़

4

हिन्दुस्तान महान है इसे महान बनाना सीखों

23 अप्रैल 2016
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हिन्दुस्तान महान है इसे महान बनाना सीखों इस मातृभूमि पर मिला है जन्म तो उसे निभाना सीखों,हिन्दुस्तान को आंखे दिखाने वालों को सबक सिखाना सीखों।नारी पर अत्याचार क्यों करते होनारी को सम्मान देना सीखों दुष्कर्मी से अब डर लगने लगा है।इससे हिन्दुस्तान का सम्मान घट रहा हैमत करो ऐसा व्यव्हार यहा परनारी के र

5

जनता बोल रही है

23 अप्रैल 2016
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जनता बोल रही हैजनता बोल रही हैनेता तो बस कह जाते है,वादो से वो मुकर जाते है।जनता तो सिर्फ बोलती हैकाम तो चुनाव आते ही सिर्फ अन्तमें दिखा जाते है।विश्वास करे कौन से नेता परजो भरते खुद का घरभाषण में चर-चर कर जाते है।चुनाव से पहले घर-घर नेता पहुॅचे जाते हैसभा करते चैराहे के नुक्कड़ पर औरवो अपने घर भाग

6

मंजिल को पाना है

23 अप्रैल 2016
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मंजिल को पाना है मंजिल को पाना है तो आज को संवारना सीखों। कल कि उलझन से बचने के लिए आज ही उसे मिटाना सीखों राह देखी अगर शौहरत पाने के लिए आज से ही अच्छा व्यव्हार जमाना सीखों।

7

कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये है

23 अप्रैल 2016
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कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये है कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये हैके रिति रिवाज क्या थेआज हम उसे सरल बना बैठै हैकल  का भारत कैसा थाआज उसे बदल बैैठै हैआज देश पर राजनिति समझौते पर मत किया करेसमझौतो से नहीे देश चलाना हैजो आखें दिखायें गद्दार उसे सबक सीखाना हैकल वीरों ने संघर्षो से भारत बसाया

8

इस राह संघर्ष लड़ रहा हूं मैं।

23 अप्रैल 2016
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राहे देख रहा हूँसामने एक हर पल संघर्ष देख रहा हूँ।इंसाफ की राहे देखीमगर अपने वाले कौन हैयह पता लगा रहा हूँ।समय-समय पर देखाकही अपने ही बदल ना जाते है।अपनों को कुछ दे दूँ।ये ख्याल आता है।पर व्यवहार बाजार जो बनाया हैमैनें उसे कोई बिगाड़ ना देजो बिगाड़ें उसे मेरे परिवार सेहटाने कि सोच रहा हूँ मैंअब मौका

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