shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

AMANKUMAR

अमन कुमार

3 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

amankumar

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

कागज की नावो

11 फरवरी 2015
0
4
2

वो कागज की नॉव याद है , वो बरसात की पानी याद है , और उन की हाथो में , कागज का फूल याद है ,... उन की हाथो का पीठ पर अस्पर्श याद है, वो मुझे उन का चिढ़ाना याद है , वो उन का मुस्कुराना याद है , और उन की आखो मे सागर जैसी लहरे याद है, वो उन का कुछ नहीं कहना याद है, उन का रुठ जाना याद है , वो

2

आशा

12 फरवरी 2015
0
2
2

वैसा जीना भी क्यआ जीना है जो , आशाविहीन हो ऐसा लगे जैसा, सरीर आत्मा विहीन हो , हर असफलता एअक अमृत है जैसी , जो आशाये बढ़ाये निरंतर मन की !!!! बस थोड़ा सवाद करबा है , पि जाओ मीरा बन जैसी .. फिर प्रभु तुमहे सफलता की राह दिखायेंगे और तुमहे सफल बनायेंगे ..,, एअस्थिर होना सवार्थ है ,, समाज देश क

3

रेलवे से बढ़ती उम्मीदें

26 फरवरी 2016
0
0
0

दिन-ब-दिन भारतीय रेलवे से लोगों की उम्मीदें बढ़ती जा रही है और इसकी हालत और सुविधाओं से निराशा बढ़ने की दर भी कम होने की गुंजाइश कमतर होती जा रही थी. रेल बजट में अब तक जो घोषणाएं की जाती थीं, वह निश्चित रूप से लोकप्रियता और वाहवाही की पटरियों से होकर गुजरती थी. साल-दर-साल रेलवे की हालत इसीलिए बिगड़ती भ

---

किताब पढ़िए