दिन-ब-दिन भारतीय रेलवे से लोगों की उम्मीदें बढ़ती जा रही है और इसकी हालत और सुविधाओं से निराशा बढ़ने की दर भी कम होने की गुंजाइश कमतर होती जा रही थी. रेल बजट में अब तक जो घोषणाएं की जाती थीं, वह निश्चित रूप से लोकप्रियता और वाहवाही की पटरियों से होकर गुजरती थी. साल-दर-साल रेलवे की हालत इसीलिए बिगड़ती भी गयी, किन्तु भारत की लाइफलाइन कही जाने वाली रेलवे की सुध राजनीति ने नहीं लेने दी. शिवसेना के सुरेश प्रभु को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी देते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ ऐसी उम्मीदें जरूर रही होंगी कि अब तक रेल जैसे चली, वैसे चली, किन्तु आगे वह मजबूत पटरियों पर लम्बी दूरी तय करे! आखिर उनकी उम्मीद कहीं गलत तो थी नहीं, क्योंकि देश में ऐसा कौन है जिसका सीधा सामना रेलवे से न पड़ता हो? कई सरकारों के बनने बिगड़ने में हमारी भारतीय रेल की भूमिका से भला किसी इंकार हो सकता है? 2016 के इस रेल-बजट में यूं तो अनेक प्रावधान किये गए हैं, जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री ने भी खुलकर किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु के रेल बजट की जमकर तारीफ की. प्रभु के भाषण की समाप्ति पर प्रधानमंत्री अपनी सीट से उठकर रेल मंत्री की सीट के पास गए और हाथ मिलाकर उन्हें बधाई दी. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस रेल बजट का देश की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर होगा. प्रधानमंत्री यह ज़िक्र करना नहीं भूले कि 'वगैर पिछली सरकारों के रेल बजट की आलोचना किये, गत सरकार के पांच सालों के बजट की तुलना में सुरेश प्रभु ने ढाई गुना निवेश के साथ जंप लगाई है.' प्रधानमंत्री मोदी ने अंत्योदय ट्रेन और दीनदयाल डिब्बों को सराहनीय प्रयास बताया. गौरतलब है कि रेल बजट में लम्बी दूरी की पूर्णतया अनारक्षित सुपरफास्ट रेलगाड़ी ‘अंत्योदय एक्सप्रेस’ चलाने का प्रस्ताव किया है. इसके अलावा लंबी दूरी की कुछ अन्य रेलगाड़ियों में दो से चार ‘दीनदयालु’ सवारी डिब्बे भी लगाने का प्रस्ताव किया गया है. साफ़ तौर पर इस बजट को लेकर सरकार पूरी तरह सकारात्मक रूख में है तो विपक्षी नेताओं ने भी इसकी आलोचना औपचारिक रूप में ही की, क्योंकि इसकी आलोचना के लिए उन्हें कोई फैक्ट दिखा नहीं!
पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट की आलोचना करते हुए कहा कि कोई नई चीज नहीं कही है इन्होंने तो पूर्व रेलमंत्री लालू यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय रेल लगातार घाटे की ओर जा रही है, लेकिन इसका खर्चा बढता जा रहा है. लालू के शब्दों में रेलवे की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया हो गया है. हालाँकि, प्रभु की इस बात के लिए तारीफ़ की जा रही है कि वगैर यात्री किराया बढ़ाये उन्होंने रेलवे की आमदनी बढ़ाने की ठोस राह सोच रखी है. रेलमंत्री का कहना है कि भारतीय रेल किराये से इतर स्रोतों से पैसा जुटाएगी, जो अब तक 5 प्रतिशत से भी कम है, इसे अगले 5 वर्ष में बढ़ाकर 10 प्रतिशत की वैश्विक औसत तक लाया जाएगा. इस लक्ष्य को पाने के लिए रेलवे की खाली पड़ी जमीन और स्टेशन की इमारतों के ऊपर की जगह का व्यावसायिक इस्तेमाल, रेलवे द्वारा बागवानी तथा वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए रेल पटरियों के आसपास की जमीन को पट्टे पर दिया जाना, वंचित वर्गों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आदि के लिए रोजगार बढ़ेंगे, खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा. रेलवे भूमि पर अतिक्रमणों की भी रोकथाम होने की बात कही जा रही है तो, इस ट्रैक का इस्तेमाल करके सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की संभावना की भी जांच की जाएगी. जाहिर तौर पर सुरेश प्रभु ने हालात का पूरा ध्यान रखने की पूरी कोशिश की है. इसके साथ-साथ आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर रोजाना लाखों लोग आते हैं, तो रेलवे इस साइट का इस्तेमाल ई-कॉमर्स गतिविधियों के लिए करेगा. इसके अतिरिक्त विज्ञापन, पार्सल व्यवसाय को ओवरहॉल करना, रेलवे घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अर्थपूर्ण भागीदार बनने के लिए उत्पादकता बढ़ाने और बेहतर विनिर्माण पद्धतियां अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना निश्चित रूप से रेलवे की आर्थिक सेहत को दुरुस्त रखने में सहायक सिद्ध होगा. जहाँ तक आम जनता से जुड़े हुए रेलवे के मुद्दे हैं तो उसके लिए चार नयी ट्रेनों की घोषणा हुई है, जिनके नाम अंत्योदय एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस, तेजस ट्रेन, उदय डबल डेकर दिए गए हैं. कुछ अन्य बातें जो रेल बजट के दौरान बतायी गयीं वह रेलवे में दोगुना निवेश होना, डीजल इंजन फैक्ट्री, रेलवे का टॉयलेट सुधार पर फोकस, रेलवे में ऑनलाइन भर्तियां, 311 स्टेशन होंगे सीटीवी से लैस, वडोदरा में रेलवे विश्वविद्यालय, आस्था ट्रेन शुरू करने की योजना और चेन्नई में रेल ऑटो हब की योजना प्रमुख रूप से सामने आयी है. देखा जाए तो रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए यह रेल बजट एक बेहतरीन रूप में सामने आया है, जो सुधार की पटरियों पर लम्बी छलांग लगाने में सक्षम है. अन्य जो बातें इसमें कही गयीं, उनमें मुख्य रूप से 2020 तक हर यात्री को कन्फ़र्म टिकट, ट्रेन में 17,000 बायो टॉयलेट, अगले दो साल तक 400 स्टेशन पर वाई-फ़ाई की सुविधा, 'स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत' अभियान के तहत एसएमएस से सफ़ाई, हर ट्रेन में लोअर बर्थ में 120 बर्थ बुज़ुर्गों के लिए आरक्षित, हर रिज़र्व कैटेगरी में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण, महिला यात्रियों के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन सेवा, क्लीन माय कोच' सेवा का समयबद्ध होना, ट्रेन में एफ़एम रेडियो चलाने की सुविधा, दिल्ली में रिंग रेल सेवा बहाल किया जाना, जिसमें 21 स्टेशन होंगे तो सभी ए-1 क्लास स्टेशनों पर इस साल दिव्यांगों के लिए कम से कम एक टॉयलेट की सुविधा के साथ-साथ सामान्य डिब्बों में भी चार्जिंग की सुविधा का होना बताया गया है.
इसके अतिरिक्त जो नयी घोषणाएं हुई हैं, उसके अनुसार, बंदरगाहों तक रेललाइन ले जाने एवं पूर्वोतर को रेल से जोड़ने की प्राथमिकता, अगरतला और मणिपुर को रेल लाइनों से जोड़ना, इस साल 1600 किलोमीटर और अगले साल 2000 किलोमीटर रेललाइन का बिजलीकरण, सभी तत्काल काउंटर पर सीसीटीवी कवरेज, 2020 तक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को ख़त्म किया जाना, 2500 किलोमीटर तक ब्रॉडगेज का ठेका देने का लक्ष्य, रेलओवर ब्रिज के लिए 17 राज्यों के साथ साझा निवेश की योजना को रेलमंत्री ने अपने बजट भाषण में मुख्य रूप से गिनाया. हालाँकि, इन तमाम सकारात्मक बातों के साथ-साथ कुछ और ऐसे क्षेत्र थे, जिन पर ध्यान दिया जा सकता था. जो आलोचनाएं इस रेल-बजट को लेकर सामने आ रही हैं, वह फैक्ट्स पर आधारित बताई जा रही हैं. इसमें रेलवे के खजाने की हालत खराब होना, यात्री ट्रैफिक में भी तय लक्ष्य का नहीं मिलना निराश करने वाला विषय है, किन्तु आने वाले समय में निश्चित रूप से इसकी हालत बेहतर होने वाली है, इस बात की 'प्रभु' ने उम्मीद तो जगाई ही है.
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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