हमारे नगर में छठ पर्व की रौनक
भगवान सूर्य के प्रति श्रद्धा में लिप्त छठ महापर्व पूर्वांचल वासियों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है ।श्रद्धा में भक्त भूख प्यास को भूल छठ मैया की पूजा में पूर्णतया डूब जाते हैं, पूर्वांचल वासियों की छठ पूजा के लिए तालाबों को साफ सुथरा कर और स्वच्छ जल से भरना और श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था करना ,नगर प्रशासन के साथ प्रत्येक सेक्टर की कमेटियों के जिम्मे होता है ।
पूजा सामग्री की खरीदारी करते लोग अपनी परंपराओं को गरिमा प्रदान करते हुए यहां के लोगों को प्रभावित करते हैं, शाम को आदमी साइकिल पर या सर पर सूप में पूजा सामग्री ले जाते हुए ,नए नए कपड़े पहन कर परिवार के साथ जाते हुए बहुत सुखद अनुभव प्रदान करते हैं ।शाम को शहर की हर सड़क पर अपने घरों से कोसों दूर उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ पर्व मनाते हुए हम हरियाणा वासियों के अंदर भी छठ मैया के प्रति श्रद्धा पैदा करते हैं ,कितना अच्छा लगता है जब हम आधुनिकता की चादर तले अपनी परंपरागत पहनावे को छोड़ रहे हैं और आधुनिक पहरावे को अपनाकर अपने को मार्डन समझ रहे हैं, हरियाणा का घाघरा चोली गांव में भी आधुनिकता की भेंट चढ़ गया, वही पूर्वांचल वासी की महिलाएं गहरी गहरी सिंदूर से भरी मांग और महावर से रचे पांव, रंग बिरंगी चटकीली साड़ियों से ढके सर शुद्ध घरों से दूर रहकर भी वही रहन सहन देख कर बहुत अच्छा लगता है ,सबसे सुंदर दृश्य पूरे पूरे गली मोहल्ले के परिवार जब एक साथ इकट्ठे होकर छठ मैय्या के गीत गाते हुए निकलते हैं ,तो बहुत ही अच्छा लगता है ।उनकी सामूहिकता की एकता देखकर, एकाकीपन में संपन्नता खोजने वाले महानगरीय सोच को सोचने पर मजबूर कर देती है ,।
मेला समितियों द्वारा मेले में लोक गायकों को बुलाकर वातावरण को भक्तिमय बनाना स्वयं में अभूतपूर्व होता है छठ पूजा की महिमा और महत्व को सुनकर यहां के भी बहुत से लोग इस पूजा को बड़े विधि विधान से करने लगे हैं रात को मेला मेला परिसर से आती हुई छठ मैया के गीतों का लोक संगीत बहुत ही कर्णप्रिय लगता है ।
पूर्वांचलवासियों के साथ यहां के लोग भी पूजा के वैभव से सुशोभित समूह में शामिल हो भगवान सूर्य के आशीर्वाद के आकांक्षी बनते हैं ,और वर्ष वर्ष भर इस पूजा के साक्षी बनने के लिए उत्सुक रहते हैं ।
भगवान सूर्य के प्रति श्रद्धा में लिप्त छठ महापर्व पूर्वांचल वासियों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है ।श्रद्धा में भक्त भूख प्यास को भूल छठ मैया की पूजा में पूर्णतया डूब जाते हैं, पूर्वांचल वासियों की छठ पूजा के लिए तालाबों को साफ सुथरा कर और स्वच्छ जल से भरना और श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था करना ,नगर प्रशासन के साथ प्रत्येक सेक्टर की कमेटियों के जिम्मे होता है ।
पूजा सामग्री की खरीदारी करते लोग अपनी परंपराओं को गरिमा प्रदान करते हुए यहां के लोगों को प्रभावित करते हैं, शाम को आदमी साइकिल पर या सर पर सूप में पूजा सामग्री ले जाते हुए ,नए नए कपड़े पहन कर परिवार के साथ जाते हुए बहुत सुखद अनुभव प्रदान करते हैं ।शाम को शहर की हर सड़क पर अपने घरों से कोसों दूर उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ पर्व मनाते हुए हम हरियाणा वासियों के अंदर भी छठ मैया के प्रति श्रद्धा पैदा करते हैं ,कितना अच्छा लगता है जब हम आधुनिकता की चादर तले अपनी परंपरागत पहनावे को छोड़ रहे हैं और आधुनिक पहरावे को अपनाकर अपने को मार्डन समझ रहे हैं, हरियाणा का घाघरा चोली गांव में भी आधुनिकता की भेंट चढ़ गया, वही पूर्वांचल वासी की महिलाएं गहरी गहरी सिंदूर से भरी मांग और महावर से रचे पांव, रंग बिरंगी चटकीली साड़ियों से ढके सर शुद्ध घरों से दूर रहकर भी वही रहन सहन देख कर बहुत अच्छा लगता है ,सबसे सुंदर दृश्य पूरे पूरे गली मोहल्ले के परिवार जब एक साथ इकट्ठे होकर छठ मैय्या के गीत गाते हुए निकलते हैं ,तो बहुत ही अच्छा लगता है ।उनकी सामूहिकता की एकता देखकर, एकाकीपन में संपन्नता खोजने वाले महानगरीय सोच को सोचने पर मजबूर कर देती है ,।
मेला समितियों द्वारा मेले में लोक गायकों को बुलाकर वातावरण को भक्तिमय बनाना स्वयं में अभूतपूर्व होता है छठ पूजा की महिमा और महत्व को सुनकर यहां के भी बहुत से लोग इस पूजा को बड़े विधि विधान से करने लगे हैं रात को मेला मेला परिसर से आती हुई छठ मैया के गीतों का लोक संगीत बहुत ही कर्णप्रिय लगता है ।
पूर्वांचलवासियों के साथ यहां के लोग भी पूजा के वैभव से सुशोभित समूह में शामिल हो भगवान सूर्य के आशीर्वाद के आकांक्षी बनते हैं ,और वर्ष वर्ष भर इस पूजा के साक्षी बनने के लिए उत्सुक रहते हैं ।
अबकी बार भी ऊंचे स्वर में छठ मैया की गीतों से वातावरण को लोक संगीत की मधुरता से गुंजायमान किया हुआ है।
जया शर्मा प्रियंवदा
फरीदाबाद हरियाणा