,निस्वार्थ प्रेम
प्रभु हम सबकी मनोकामनाएं पूरी करें, और हमारे मन मस्तिष्क पर सुख शांति का वैभव सुशोभित हो । प्रत्येक दिवस हम सबके लिए स्वास्थ्यवर्धक हो, हमारी भारतीय संस्कृति में राधा कृष्ण की प्रेम कथा सर्वत्र पूजनीय है, राधा कृष्ण को जहां प्रेमी प्रेमिका की संज्ञा प्रदान की जाती है वही पति-पत्नी के रूप में मां सीता का श्री राम के चरणों में अनुराग प्रेम की पराकाष्ठा है।
वन वन भटकते हुए श्री राम और सीता का प्रेम अनुराग इतना घनिष्ठ है, कि रावण का अकूत वैभव भी सीता के मन में अपने पति श्री राम के चरणों के अनुराग को कम न हीं कर पाता है।
वही सती का महादेव के प्रति अनुराग अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लेने पर हजारों वर्ष की तपस्या के वरदान स्वरूप पुनः शिव को ही पति के रूप में प्राप्त करने की इच्छा करना प्रेम की पराकाष्ठा है। प्रेम की पराकाष्ठा का अनुपम उदाहरण एक मुझे बहुत प्रभावित करता है, जो दिन भर तपाकर पृथ्वी को शाम को अपने अस्ताचल में जाता है, उसी सूरज का धरती शालीनता और शीतलता से प्रातः काल प्रतीक्षा करती है, और सूरज की किरणों का आलिंगन करके स्वयम आनंदित हो सर्वत्र आनंद का विस्तार करती है, धरती मां का हम जीव जंतुओं पर भी गहरा अनुपम ममता स्वरूप प्रेम है जिस धरती को हम दिन
भर रोदते हैं, वही धरती हमारे द्वारा एक बीज पाकर आकर आनंद स्वरूप
हमारे लिए प्रकृति का संचार करती है, जो प्रकृति हमको
फल फूल इंधन छाया और बसेरा प्रदान करते हैं।
यह सब निस्वार्थ प्रेम के उदाहरण हैं, जिनका अगर हम पर क्षणिक भी प्रभाव आ जाए तो हम स्वयं और अपने लोगों की नजर में सम्मानीय हो जाए
जया शर्मा प्रियंवदा
फरीदाबाद हरियाणा