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इंजिनियर, अकॉउंटेंट, व्यवसायी. लेखन मेरा जूनून है. मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी में लिखना सर्वाधिक प्रिय है. मैं धर्म, राजनीति, विज्ञान, मानव जीवन, समाज सहित विभिन्न विषयों पर लिखता हूँ. मेरी अधिकतर रचनायें सत्य घटनाओं से प्रेरित होती हैं और मैं अपनी कल्पना के अनुसार कहानियाँ और कवितायें भी लिखता हूँ . मेरा अपना गूगल ब्लॉग भी है जिस पर मेरी रचनायें उपलब्ध हैं . मेरी दो पुस्तकें " दया और दान " एवं " क़यामत की रात " अमेजॉन किंडल पर उपलब्ध हैं .

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amitkumarsoni

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मन

6 नवम्बर 2019
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क्यों ये मन कभी शांत नहीं रहता ?ये स्वयं भी भटकता है और मुझे भी भटकाता है।कभी मंदिर, कभी गॉंव, कभी नगर, तो कभी वन।कभी नदी, कभी पर्वत, कभी महासागर, तो कभी मरुस्थल।कभी तीर्थ, कभी शमशान, कभी बाजार, तो कभी समारोह।पर कहीं भी शांति नहीं मिलती इस मन को।कुछ समय के लिये ध्यान हट जाता है बस समस्याओं से।उसके

पत्थर

28 अक्टूबर 2019
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पता नहीं ये जो कुछ भी हुआ, वो क्यों हुआ ?पता नहीं क्यों मैं ऐसा होने से नहीं रोक पाया ?मैं जानता था कि ये सब गलत है।लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं कर पाया।आखिर मैं इतना कमजोर क्यों पड़ गया ?मुझमें इतनी बेबसी कैसे आ गयी ?क्यों मेरे दिल ने मुझे लाचार बना दिया ?क्यों इतनी भावनाएं हैंइस दिल में ?क्यों मैंने अ

जीवन

26 अक्टूबर 2019
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जीवन एक रास्ते जैसा लगता है मैं चलता जाता हूँ राहगीर की तरह मंजिल कहाँ है कुछ पता नहीं रास्ते में भटक भी जाता हूँ कभी-कभीहर मोड़ पर डर लगता है कि आगे क्या होगा रास्ता बहुत पथरीला है और मैं बहुत नाजुक दुर्घटनाओं से खुद को बचाते हुए घिसट रहा हूँ जैसे पर रास्ता है कि ख़त्म होने का नाम नहीं लेता कब तक और

तुमने ऐसा क्यों किया ?

18 अक्टूबर 2019
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यह कविता मेरी दूसरी पुस्तक " क़यामत की रात " से है . इसमें प्रेम औ रदाम्पत्य जीवन के उतार-चढ़ाव पर जीवनसाथी द्वारा साथ छोड़ देने पर उत्पन्न हुए दुःख का वर्णन है .तुमने ऐसा क्यों किया जीवन की इस फुलवारी में, इस उम्र की चारदीवारी में।आकर वसंत भी चले गये, पतझड़ भी आकर चले गय

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