जीवन एक रास्ते जैसा लगता है
मैं चलता जाता हूँ राहगीर की तरह
मंजिल कहाँ है कुछ पता नहीं
रास्ते में भटक भी जाता हूँ कभी-कभी
हर मोड़ पर डर लगता है कि आगे क्या होगा
रास्ता बहुत पथरीला है और मैं बहुत नाजुक
दुर्घटनाओं से खुद को बचाते हुए घिसट रहा हूँ जैसे
पर रास्ता है कि ख़त्म होने का नाम नहीं लेता
कब तक और कहाँ तक चलते जाना है
ना मुझे पता है और ना कोई बताता है
पर गिरते संभलते चला जा रहा हूँ
उम्मीद में कि उस मंजिल पर सुकून होगा
जिसका अभी तक कोई निशाँ भी नहीं मिला
पर मैं और कर भी क्या सकता हूँ
रास्तों पर रुका भी तो नहीं जा सकता
रुको तो बेचैनी और बढ़ जाती है
रास्ते जैसे धकेलने से लगते हैं मुझे
कभी शक होता है कि मैं चल रहा हूँ या रास्ते
इसी उधेड़बुन में उलझा हुआ खुद को समेटकर
मैं बस चला जाता हूँ चाहे जैसे भी हो
कि कभी तो ये सफ़र ख़त्म होगा मंजिल पर पहुँचकर
क्यों कि ये जीवन एक रास्ता बन चुका है मेरे लिए
जिस पर मैं बस चलता जा रहा हूँ।
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जीवन
जीवन एक रास्ते जैसा लगता है
मैं चलता जाता हूँ राहगीर की तरह
मंजिल कहाँ है कुछ पता नहीं
रास्ते में भटक भी जाता हूँ कभी-कभी
हर मोड़ पर डर लगता है कि आगे क्या होगा
रास्ता बहुत पथरीला है और मैं बहुत नाजुक
दुर्घटनाओं से खुद को बचाते हुए घिसट रहा हूँ जैसे
पर रास्ता है कि ख़त्म होने का नाम नहीं लेता
कब तक और कहाँ तक चलते जाना है
ना मुझे पता है और ना कोई बताता है
पर गिरते संभलते चला जा रहा हूँ
उम्मीद में कि उस मंजिल पर सुकून होगा
जिसका अभी तक कोई निशाँ भी नहीं मिला
पर मैं और कर भी क्या सकता हूँ
रास्तों पर रुका भी तो नहीं जा सकता
रुको तो बेचैनी और बढ़ जाती है
रास्ते जैसे धकेलने से लगते हैं मुझे
कभी शक होता है कि मैं चल रहा हूँ या रास्ते
इसी उधेड़बुन में उलझा हुआ खुद को समेटकर
मैं बस चला जाता हूँ चाहे जैसे भी हो
कि कभी तो ये सफ़र ख़त्म होगा मंजिल पर पहुँचकर
क्यों कि ये जीवन एक रास्ता बन चुका है मेरे लिए
जिस पर मैं बस चलता जा रहा हूँ।