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amitkumarsoni

अमित कुमार सोनी

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पुस्तक के भाग

1

तुमने ऐसा क्यों किया ?

18 अक्टूबर 2019
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यह कविता मेरी दूसरी पुस्तक " क़यामत की रात " से है . इसमें प्रेम औ रदाम्पत्य जीवन के उतार-चढ़ाव पर जीवनसाथी द्वारा साथ छोड़ देने पर उत्पन्न हुए दुःख का वर्णन है .तुमने ऐसा क्यों किया जीवन की इस फुलवारी में, इस उम्र की चारदीवारी में।आकर वसंत भी चले गये, पतझड़ भी आकर चले गय

2

पत्थर

28 अक्टूबर 2019
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पता नहीं ये जो कुछ भी हुआ, वो क्यों हुआ ?पता नहीं क्यों मैं ऐसा होने से नहीं रोक पाया ?मैं जानता था कि ये सब गलत है।लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं कर पाया।आखिर मैं इतना कमजोर क्यों पड़ गया ?मुझमें इतनी बेबसी कैसे आ गयी ?क्यों मेरे दिल ने मुझे लाचार बना दिया ?क्यों इतनी भावनाएं हैंइस दिल में ?क्यों मैंने अ

3

मन

6 नवम्बर 2019
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क्यों ये मन कभी शांत नहीं रहता ?ये स्वयं भी भटकता है और मुझे भी भटकाता है।कभी मंदिर, कभी गॉंव, कभी नगर, तो कभी वन।कभी नदी, कभी पर्वत, कभी महासागर, तो कभी मरुस्थल।कभी तीर्थ, कभी शमशान, कभी बाजार, तो कभी समारोह।पर कहीं भी शांति नहीं मिलती इस मन को।कुछ समय के लिये ध्यान हट जाता है बस समस्याओं से।उसके

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