हम, विकास और बेजुवाँ
यूँ तो हमें अपने आप को मानव होने पे गर्व होता है और होना भी चाहिए क्योंकी भगवन ने हमें सोचने और औरों से जयादा समझने की छमता प्रदान किया है । मानव अपने इसी छमता के बल पर अपने आस-पास की चीजों, लोगों और हर संभव दूसरे गोले पे भी अपना राज अस्थापित करने का सतत् प्रयाश करते रहता है। पर आज जब हम आपने आस-पास