एक परदेशी की व्यथा
मलकिन कै फोनवा आय गवा । तू घरे चला आवा जल्दी ॥ मडही चुवति अहै कसके । एका तू दिया छवाय जल्दी ॥ पिन्टू कै नइकर फाट गवा । लाडो कै टूट गवा जूता ॥ गाय कै पगहा लाय रह्या । ऊ टूट गवा एक एक बीता ॥ पण्डोहे कै हाल बतायी । बगल पडोसी रोंका थे ॥ अब अइसन हालत बनी अहै । अँगनै मा मेघा बोलाथे ।😄 लग्गा से घुइहाय थ