गँवई बात हकीकत कै । बँटवारे का लइके अबकी बहुत बडा होइगा बवाल । अम्मा केकरे मा रहिहैं के झेले बाबू कै सवाल ॥ गाँव देश कै पर पँचाइत किहिन यक्कठी बगिया मा । बइठ के दूनौ रहे चौधरी बात बनावै सझिया मा ॥ अम्मा बाबू सोच के रोवैं ई कवन मुसीबत आन पडी । दूनौ दुल्हिन जबसे लडि अपने मर्दन कै कान भरीं॥ तबसे बडकू बौराय गये ना काम करै मिल खेतिया मा । गाँव देश कै पर पँचाइत किहिन यक्कठी बगिया मा ॥ छोटकू बडकू अलग अलग बइठे गुस्साने पटिया पै । आँख से आँख मिलै जब जब वै जोर भरै लखि लठिया पै ॥ बडका हण्डा पितरी वाला भवा बडकनू के वारी । अव अम्मा कै पान पनउटा गवा छोटकनू के वारी ॥ धय हाथ कपारे बाबू सोचैं अब झेली खेतहरिया मा । गाँव देश कै पर पँचाइत किहिन यक्कठी बगिया मा ॥ सब पँचन के बीच भवा एक एक तिल कै खुब बँटवारा । छोटकी बडकी हूम रहीं के झेली सास श्वसुर वारा ॥ छोटकी बडकी जूझ जूझ छनही मा तान लियै गुम्मा । बडकू के हिस्से बाप गये छोटकू के आय गयीं अम्मा ।। बाबू का अम्मा, अम्मा का बाबू देखै वहि टटिया मा । गाँव देश कै पर पँचाइत किहिन यक्कठी बगिया मा ॥ लिखै अनिल साकेत पुरी का देश कै यइसन मान बढी । जव अम्मा बाबू बँटि जइहैं तव कइसे कुल कै नाम चली ॥ चाहे जवन करा भइया ना अम्मा बाबू का बाँटा । अम्मा बाबू का बाँटे से पडे कुलन पै तामाचा ॥ अम्मा बाबू का यस राखा नाम हुयै खुब दुनिया मा ॥ ना गाँव देश कै पर पँचाइत खडी करा तू बगिया मा ॥ अनिल साकेत पुरी पूर्णतया स