आवा सुनायी तोहैं गउवाँ कै झक्सा । छोट छोट बात से कपार जँहा चटखा॥ शुरु होइगै हइजा भगवती कै चश्का । इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता ।
कल्लू के बगिया मा आमे कै झोप्सा । पियर पियर हरियर कटहुली कै नक्शा ॥ मार दियैं लालच मा लल्लू जौ चीपा । भर भर के गिर जाय अमवा कै घोप्सा ॥ इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता २ काटि काटि मेडवा बदलि देंय नक्शा । घरही मा मेहरी कै तोड दियैं बक्सा॥ लइके लुगरिया मेहरिया जौ धावै । नइहर के ओरी तकाय दियै रस्ता ॥ इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता । वै उनसे बढिके तौ वै उनसे बढिके । केहू ना कम बा चलै आगे बढिके ॥ बाप से ना बात करते कभौ अँगनाई। मेहर बजाय दियै घरहीं मा चिमचा ॥ इहै हउवै ........... लिख्खै साकेतपुरी दिल्ली लेख निया। घर मा पडोसी के गिर गइले नरिया॥ भागि गय बिलरिया बढाय केनि लफडा। झाडै पडोसी पै मनवा कै शँका । इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता इहै हउवै भइया कचहरी कै रस्ता ॥ अनिल साकेत पुरी