मलकिन कै फोनवा आय गवा । तू घरे चला आवा जल्दी ॥ मडही चुवति अहै कसके । एका तू दिया छवाय जल्दी ॥ पिन्टू कै नइकर फाट गवा । लाडो कै टूट गवा जूता ॥ गाय कै पगहा लाय रह्या । ऊ टूट गवा एक एक बीता ॥ पण्डोहे कै हाल बतायी । बगल पडोसी रोंका थे ॥ अब अइसन हालत बनी अहै । अँगनै मा मेघा बोलाथे ।😄 लग्गा से घुइहाय थकेन हम । अउर गयन कुम्हलाइ सुना ॥ रोज पडोसी कै टन्टा बा । एका आय के तुंही सुना ॥ पिन्टू कै स्कूल फीस भी । यही महीना भरै का बा ॥ अपुना बसा अहा दिल्ली मा । हिंया अकेलै जरै का बा ॥ खेत बरक के ठनक गवा ॥ ना आगे कुछू सुझात अहै । देखि देखि के हाथ मली हम । बरखू कै खेत बोवात अहै 😄 ॥ बरसीनी कै हिंया भिगोयन। वहूमा भुकुडी पकड लिहिस ॥ ई सव देखि के पिन्टू के पापा । हमहूँ का जुडी जकड लिहिस॥ हाथ जोड के कहत अही । तू सुनिल्या तनिका ध्यान लगाय ॥ आवत अहै साकेतपुरी तू सथवै लेत्या टिकट कटाय. । अनिल साकेत पुरी