आंखों में काजल माथे पर बिंदी
सज धज कर दुल्हन की तरह
वो आज और भी ज्यादा निखर आई है
देखो देखो करवा चौथ की रात आई हैं।
न खाया अन्न का दाना ना पानी की एक बूंद
दीर्घायु रहे सुहाग सदा
स्त्री ये तूने कैसी रीत निभाई है,
देखो देखो करवा चौथ की रात आई हैं।
पीर ये देखो नैनन की,
तक तक के चंदा की राह
आंखे भी थक आई हैं,
देखो देखो करवा चौथ की रात आई हैं।
बीते क्षण इंतजार के
ये शुभ घड़ी आई है
ए चांद तूने इस चौथ की रीत पुरी कराई है
देखो देखो करवा चौथ की रात आई हैं।