चल रहे जिस राह पर,आगे मंजिल कितनी है क्या पता
फिर भी चलने की हमने ठानी है
जिंदगी की यही कहानी है।
थे कभी दिन बचपन के और हाथो में खिलौना,
मां के आंचल में छुपकर उनकी गोद में सोना,
सोचते है आज हाथो में पकड़ के कलम,
सोने जैसी किस्मत चमकानी हैं,
जिंदगी की यही कहानी है।
मिला मौका एक कुछ कर दिखाने का,
परिवार और अपने लिए जीने का
पर परिवार के सपनो के लिए खुद को भूल गए,
अब परिवार की जिम्मेदारी उठानी हैं,
जिंदगी कि यहीं कहानी है।
समय बिता उम्र चढ़ी नए रिश्तों की सौगात आई है,
कल तक थे मां बाप और हम,
आज दो और जिम्मेदारी कंधे पर आई है
आज बच्चो के लिए जी रहे है,
उन्ही के सपनो को पूरा करने में गवाई पूरी जवानी है
जिंदगी की यही कहानी है।
आया जब अंतकाल तब यहीं सोचा
खोया बचपन खोई जवानी भूल गए अपने सपनों को
उठाते उठाते परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी
बिता दी अपनी पुरी उम्र और जिंदगानी है,
जिंदगी की यही कहानी है।