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अब मुझे लाल रंग अच्छा लगने लगा है

4 फरवरी 2022

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"ये क्या है मम्मा  ! यह सगाई की साड़ी लाल रंग की है , आपको तो पता है ना मुझे लाल रंग पसंद नहीं है ।आपने उन लोगों से कहा क्यों नहीं ?" बारिश एक पच्चीस साल की लड़की है , जिसकी सगाई कल होने वाली है । सब बहुत खुश थे । आज बारिश की ससुराल से शगुन का सारा सामान आया था जिसमें साड़ी से लेकर जेवर मेकअप का सारा सामान यहां तक कि सैंडल्स भी साड़ी से मैचिंग करते हुए आए। साड़ी लाल रंग की थी जिसे देखकर उसका मुंह उतर गया । और एक घबराहट सी होने लगी थी जिसे वो मम्मी से छुपाना चाह रही थी इसीलिए चिल्लाकर अपनी बात रखी उसने।
" बेटा सुहाग की सारी चीजें लाल रंग की होती है । और ये रंग तो सुहाग का प्रतीक होता है । कितना समझाऊं तुझे ,अब अपना यह बचपना छोड़ो और तैयार हो जाओ तुमने मुझे भी लाल रंग पहनने नहीं दिया पर अब तुम्हारी मनमानी नहीं चलेगी ।"  मम्मी नाराज हो रही थी ।
" नहीं मैं नहीं पहनूंगी ,तो नहीं पहनूंगी ।"  कहकर गुस्से में पैर पटकते हुए वहां से चली गई ।
" पता नहीं क्यूं इस लड़की को लाल रंग से इतनी चिढ़ है ।"शोभा जी भुनभुनाती हुई अपने आप से कह रही थी । बारिश अपने कमरे में जाकर निढाल सी बेड पर कटे तने सी गिर गई । लाल रंग .... ये लाल रंग उसका पीछा क्यों नहीं छोड़ रहा है । कैसे समझाए सबको , नफरत है उसे इस रंग से पर कोई क्यों नहीं समझता , समझेंगे भी तो कैसे कभी उसने कुछ कहा नहीं और किसी ने पूछा भी नहीं । इसे बस उसका बचपना समझ कर छोड़ दिया करते थे सब। सूना था कि एक मां अपने बच्चों की आंखे पढ़ लेती हैं, पर उसकी मम्मी ने कभी उसे पढ़ा ही नहीं कभी समझा ही नहीं । कभी बैठ कर प्यार से बात ही नहीं की , बस वो और उनका पार्लर , दुनियां को सजाते, चेहरों को मेक अप की परतें चढ़ाते खुद की बेटी के चेहरे की उदासी कभी पढ़ ही नहीं पाई। विचारों के सागर में गोते लगाते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला , सुबह उठी तो आंखें सूखे आंसुओं  से चिपक गई थीं।
" बारिश ! बारिश !  बेटा दरवाजा खोलो कितना सोओगी  । सुबह हो गई है भूल गईं क्या ? आज सगाई है तुम्हारी ।"
" हां मम्मा उठ रही हूं ।" कह तो दिया पर वो सोई ही कहां थी । सजने संवरने का भी शौक नहीं था उसे तो , शादी भी नहीं करना चाहती थी पर पूरा खानदान पीछे पड़ गया था । स्कूल कॉलेज में कितने लड़के उसकी एक हां के लिए तरसते थे । पर उसने अपने चारों तरफ एक लक्ष्मण रेखा बना रखी थी जिसे पार करना किसी के बस की बात नहीं थी ।
" बारिश ! बेटा जल्दी जाओ तैयार होकर आओ , सागर और उसकी फैमिली आने वाली ही होगी।" मम्मी उसे झकझोरते हुए यादों से निकाल कर कह रही थीं। चुपचाप अपनी शादी के लिए शॉपिंग की हुई साड़ियों में से गुलाबी साड़ी निकाली और तैयार होने चली गई ।
" भाई देखो भाभी किसी परी से कम नहीं लग रही है , एकदम पिंक परी ।" छोटी बहन भाई को छोड़ रही थी ।
"  क्या ????  पिंक परी , सागर ने घूम कर देखा बारिश पिंक साड़ी पहन कर आ रही थी । वह मन ही मन कुछ सोचने लगा । पर उसकी खूबसूरती देखकर सब भूल गया और उसे बस  देखता ही रहा। बारिश सागर के बाजू में आकर बैठ गई , हंसी खुशी के माहौल में सगाई की सारी रस्में हो गई ।
सासु मां ने आकर धीरे से बारिश से पूछा ," बेटा  सगाई के लिए तो हमने दूसरी साड़ी भेजी थी , शायद तुम्हें पसंद नहीं आई होगी ।कोई बात नहीं पर शादी वाले दिन तो तुम्हें हमारा भेजा हुआ जोड़ा ही पहनना पड़ेगा । ऐसा करना उसके लिए तुम हमारे साथ ही चल लेना ताकि तुम अपनी पसंद का ले सको ।"कहने को तो उन्होंने कह दिया पर कहीं ना कहीं उन्हें यह बात पसंद नहीं आई कि बारिश ने उनकी भेजी हुई लाल साड़ी नहीं पहनी। वह साड़ी तो सागर ने अपनी पसंद से खरीदी थी। उन्होंने बेटे का चेहरा देखा जो बारिश की तरफ देख रहा था । सागर को लाल रंग बहुत पसंद था उसने अपनी मम्मी से कहा था कि आप कितने भी रंगों की साड़ियां खरीद लो लेकिन सगाई और शादी में बारिश का  जोड़ा लाल ही लाना।
दूसरे दिन सागर ने  बारिश को फोन किया " बहुत सुंदर लग रही थी तुम सगाई में पर तुमने वह साड़ी क्यों नहीं पहनी जो हमारे यहां से गई थी , तुम्हें पता है सब का मजाक बनकर रह गया था  मैं ।तुम्हारे लिए मैंने पसंद की थी वह साड़ी तुम्हें पता है । लाल रंग में कोई भी लड़की दुनियां की सबसे सुंदर लड़की दिखती है । मैंने अपनी दुल्हन की कल्पना लाल जोड़े में ही की थी । पर तुम पिंक कलर में भी बहुत सुंदर लग रही थी ,एक बार फिर फिदा हो गया मैं तुम पर ।अब जल्दी से मेरे घर आ जाओ । पर शादी वाले दिन प्लीज तुम लाल लहंगा ही पहनना इसे मेरी रिक्वेस्ट समझ लो ।" बारिश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या गुनाह कर दिया उसने । अपनी पसंद की साड़ी पहनकर । क्या लाल रंग लाल रंग लगा रखा है सागर ने भी ,उसे फिर से बेचैनी होने लगी । जिस बात को आज तक उसकी मम्मी ही नहीं समझ पाई और वो समझा भी नहीं पाई , तो सागर से तो क्या उम्मीद करेगी ।
लाल जोड़ा लाल जोड़ा सुन सुन कर उसको इतना अजीब लग रहा था उसका सिर घूमने लगा था । वह सोफा पर सिर टिका कर  बैठ गई कि  उसको अतीत की परछाइयां नजर आने लगी । उसे याद आया वह मनहूस काला दिन जिस दिन वह अपनी फ्रेंड की दीदी की शादी में गई थी ।

दोनों सहेलियां तितली की तरह उड़ रही थी पूरी शादी में । इन्द्रधनुष के रंगों सी थी उनकी दुनिया , उनकी खिलखाहट से पूरी शादी में रौनक फैल रही थी। 14 साल की ही तो थी दोनों , ना बड़ी ना छोटी ।उम्र का वह दौर जहां बचपना छूटता है और जवानी दस्तक देती है । बारिश ने अपना फेवरेट रेड कलर का लहंगा पहना था जो उसकी मौसी लाई थी उसके बर्थडे पर । वैसे तो उसे सारे रंग पसंद थे पर रेड कलर उसको बहुत अट्रैक्ट करता था ।
" बारिश जरा सुनो तो पायल कहां है ? " पायल की मम्मी ने कहा
"  आंटी वो हमारी एक दोस्त को बाहर तक छोड़ने गई है । कुछ काम था तो मुझसे कहिए । " 
" बेटा बात ऐसी है कि बारात का स्वागत करने के लिए जो थाली सजाकर लाई थी उसमें चावल भूल गई हूं जरा लेकर आओगे किचन से " 
" जी अभी लेकर आती हूं " कहकर अपनी ही धुन में ,अपने आप में मगन वह घर के अंदर चली गई अचानक एक परछाई उसे अपने पीछे महसूस हुई , पलट कर देखा तो उस परछाई ने उसे दबोच लिया और उसका मुंह बंद कर दिया अपने हाथों से कि चिल्ला भी ना सकी क्यों कि  हाथ इतने मजबूत थे कि उनकी पकड़ से निकल नहीं पा रही थी । परछाई उसे धकेलते हुए छत पर बने हुए कमरे में ले गई ।वहां ले जाकर उसकी अस्मत को तार-तार कर दिया। बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी वो , उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो गया उसे बस एक ही लाइन सुन रही थी कानों में "लाल सूट में तो तुम लाल परी लग रही हो क्या बला की खूबसूरत हो तुम ।" कौन था वो अंधेरे में उसे कुछ दिखाई भी नहीं दिया । बस एक आवाज़ आई दरवाज़ा बंद होने की । सिसकते हुए , दर्द से तड़पते हुए अपने आप को घसीटते हुए दरवाज़े के पास पहुंचकर लाइट का बटन ढूंढा । कमरे में रोशनी तो हो गई पर उसकी ज़िन्दगी में अंधेरा करके । चारों तरफ़ देखा तो सब कुछ लाल , और एक आवाज़ कानों में , " लाल रंग में लाल परी " ओह कितना लिजलिजा सा था  हर ओर । लाल कपड़े , लाल रंग का ही कुछ बह रहा था । ओह ! ये पेट इतना क्यूं दुःख रहा है जैसे आंतें बाहर निकल रही हैं । किसी तरह खुद को इकट्ठा करते हुए वहां से निकल कर चुपचाप  घर में आकर कमरा बंद कर लाश सी फर्श पर ही पसर गई। पूरी रात मुंह में दुपट्टा  दबाए दर्द से सिसकती रही, कहीं कोई उसकी आवाज सुन न ले । इतनी भी छोटी नहीं थी कि समझ ना सके कि उसके साथ गलत हो गया है । किसी भी लड़की के साथ ऐसा कुछ हो जाए तो बदनामी उस लड़की और उसके परिवार की होती है ऐसा उसने कितनी बार सुना था। बहुत जी चाह रहा था कि मम्मी से लिपटकर चीख चीखकर रोए और इतना कि अपने ही आंसुओं से अपने आप को और उस सड़ांध को रगड़ रगड़ कर धो ले ,पर नहीं कर सकती । कैसे कहेगी सबको कि उसके साथ क्या हो गया  । पापा ने तो पहले ही मना किया था शादी में जाने के लिए ,पर पायल और उसकी मम्मी ने कितना मनाया था पापा को फिर मम्मी और उसने भी जिद की थी । नहीं ,, नहीं वो किसी को कुछ भी नहीं कहेगी चुप रहेगी ।
" बारिश ! ,,, बारिश ! आज यहीं सोफा पर ही सोने का इरादा है क्या ? " मम्मी उसे उठा रही थी।
" हां ! क्या हुआ , आपने कुछ कहा क्या मम्मी ।" उसे लगा मम्मी ने सब देख लिया , उसकी आंखों में , उसकी आंखों में आए आंसू उसे मम्मी की आंखों में दिख रहे थे । उन्होंने बारिश को खींचकर अपने सीने से लगा लिया और कहा ," क्या बात है बेटा ,किन ख्यालों में खोई हो , कुछ परेशानी है तो अपनी मां से कह सकती हो । अब तो कुछ दिनों में तुम यहां से चली जाओगी । अपने काम की वजह से शायद मैं तुम्हें उतना समय नहीं दे पाई जितना देना चाहिए था ।"
" नहीं मम्मी , कुछ नहीं बस थोड़ा थक गई हूं ।" कहकर अपनी मां के आंचल में अपने आप को छुपा लिया ।
" सुनो ,सगीजी का फोन आया था कह रहीं थीं कि कल सागर बाबू तुम्हें लेने आएंगे । तो तुम दोनों जाकर अपने लिए लहंगा ले आना । देखो बेटा , अब तुम थोड़ा सा मैच्योर बीहेव करो तुम्हारी शादी होने वाली है । सागर बाबू की पसंद का भी ख्याल रखना । " कहकर मम्मी तो चली गईं पर उसे फिर से बेचैनियों के समंदर में कहीं गहरे में छोड़ गईं ।
" हैलो ! बारिश तुम तैयार हो तो प्लीज़ बाहर ही आ जाओ । " सागर बाहर गाड़ी में ही बैठा रहा ।
" पर सागर अंदर तो आ जाओ ,पापा मम्मी भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं । उनसे नहीं मिलोगे ।"
" मिलूंगा ना , पर अभी नहीं वापस आकर , अभी लेट हो गई है । तुम जल्दी आ जाओ ।"
" भइया ! आपकी दुकान में जो सबसे सुंदर और स्टाइलिश लहंगा हो, वो दिखाना । हमारी मैडम के लिए ।" सागर अपनी धुन में ही बोले जा रहे थे ।
दुकानदार ने अपनी तरफ से बढ़िया से बढ़िया सुंदर लहंगे उनके आगे रख दिए । पर सागर संतुष्ट नहीं हो रहे थे ।
" भाईसाहब ! कुछ लाल रंग में भी तो दिखाइए ये सब अच्छे तो हैं पर इनमें वो बात नहीं है , समझ रहे हैं आप ।"
" जी , जरूर  । ये देखिए , इसे देखकर आपको शायद वो बात नजर आ जाए । जो आपको चाहिए ।"
" वाऊ ! इट्स रियली ब्यूटीफुल , देखो बारिश !  कितना सुन्दर है ना । एक बार ट्राय करो ना , इसे पहनकर तो तुम एकदम परी लगोगी , लाल परी । मेरे ख्वाबों की हकीकत  ।"
" ला .........ल .....प ..........री .... ओह! उसका सिर भन्नाने लगा । "

" क्या हुआ बारिश ! उठो आंखें खोलो ।" सागर उसके चेहरे पर थपकियां मारकर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहा था ।
" मुझे घर जाना है सागर, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है  ।"
सागर का उसको छूना भी उसे व्याकुल कर रहा था ।
" हां हां ठीक है चलो , हम शॉपिंग कल कर लेंगे या जब तुम्हें ठीक लगे । अभी तो हमारे पास दस दिन हैं ।" सागर उसे सहारा देते हुए गाड़ी तक लाया । और वो कैसे उसके हाथों को कंधे हिलाते हुए हटाना चाह रही थी । उसकी हालत देख सागर मानो किसी गहरी सोच में डूब गया ।
" सागर चलो, गाड़ी तो स्टार्ट करो " अधीर होकर बारिश ने कहा
" ओह ! सॉरी ! "
ड्राइव करते हुए भी सागर की नज़रें बार बार बारिश पर जा रही थी , जो बैठी बैठी कसमसा रही थी । गाड़ी के अचानक रुकने से बारिश को झटका सा लगा और वो जैसे नींद से जागी । उसने देखा गाड़ी झील के किनारे रुकी है और सागर की नज़रें उसे ही देख रही हैं ।
" क् क् क्या हुआ सागर गाड़ी यहां क्यों रोकी ? हमे तो घर जाना था । प्लीज सागर मुझे घर ले चलो ।" वो किसी डरे हुए बच्चे की तरह हाथ जोड़ने लगी । उसकी आंखों में एक डर दिख रहा था सागर को ।
" बारिश ! हम यहां से अभी घर ही जाएंगे । तुम डरो मत , मैं कोई भूत या राक्षस नहीं हूं जो तुम इतना कांप रही हो । यार तुम तो एक बिंदास , इतनी पढ़ी लिखी लड़की हो फिर ऐसे क्यूं बीहेव कर रही हो ।" उसका हाथ पकड़ कर सागर उसे नॉर्मल करने की कोशिश कर रहा था।
" बारिश इधर देखो , मेरी तरफ , मेरी आंखों में ,"  उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए सागर ने कहा । " कई दिनों से देख रहा हूं तुम कई बार अजीब सा बीहेव करती हो , ऐसे तो तुम एकदम नॉर्मल रहती हो पर शादी की शॉपिंग की बात पर घबरा जाती हो । मैंने एक बात और महसूस की है जब मैं तुम्हें छूता हूं तब भी तुम असहज हो जाती हो । मुझे एक बात सच सच बताना क्या ये शादी तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ हो रही है , क्या तुम किसी और को पसंद करती हो ,  या मैं तुम्हें पसंद नहीं हूं , मुझे बता दो मैं घर में सबसे बात कर लूंगा ।"
" नहीं , नहीं मेरी ज़िन्दगी में कोई नहीं है कोई हो भी नहीं सकता ।" हड़बड़ाई हुई सी बारिश ने कहा ।
" तो फिर क्या बात है बारिश , बताओ भी । बारिश !  मैंने तुम्हें देखते ही तुम्हें अपना लिया था । मैं तो अपनी आगे की जिंदगी सिर्फ तुम्हारे साथ ही बिताने का ख्वाब देखने लगा हूं । शादी तो मेरे लिए एक फॉर्मेलिटी जैसी है । ये तो समाज का बनाया हुआ नियम है जो निभाना पड़ेगा । अदरवाइज मैंने तो हम दोनों को एक ही मान लिया है । पर कुछ तो है जो तुम्हें परेशान कर रहा है प्लीज मुझे बताओ । मैं तुम्हें ऐसे नहीं देख सकता हूं , पहली बार वाली हंसी और रंगत कहीं खो गई है । मैं किसी भी तरह की बात सुनने को तैयार हूं बस तुम बोलो चुप मत रहो । अपने दिल की भड़ास निकाल दो , सच मानो यू विल फील गुड ।" हम लोग तुम्हें शॉपिंग के लिए भी परेशान नहीं करेंगे और लाल रंग के लिए तो बिल्कुल भी नहीं ।" सागर बस बोले जा रहा था और वो जैसे किसी काले गहरे अंधेरे वाले कुएं में डूब रही थी  ।
" वो ल...ला.....ल ...रं ..ग " घुटे हुए गले से इतना ही निकला ।
" अरे यार ! तुम्हें अब कोई लाल रंग के लिए कुछ नहीं कहेगा , मैं भी नहीं , ये सच है कि लाल मेरा फेवरेट कलर है बट आई विल मैनेज , यू डोंट वरी ।"
" वो एक्चुअली लाल रंग .... " कहते कहते कांपने लगी ।
सागर ने उसे देखा कितना अजीब चेहरा हो गया था उसका इस बार पर , वो एकदम सीरियस हो गया और कहने लगा ,"लाल रंग से तकलीफ है तुम्हें , कुछ हुआ है , कोई बुरी याद जुड़ी है तुम्हारी   । बोलो बारिश मुझे बहुत घबराहट हो रही है प्लीज बारिश मुझे बताओ ।अपने सारे दुःख मुझे दे दो । तुम्हारे हर दुःख , हर राज़ को अपने सीने में छुपा लूंगा। यूं अपने आप को इतना दर्द मत दो "कहते कहते सागर ने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया ।
" मैं तुम्हारा हूं और तुम्हारा ही रहूंगा , हर हाल हर परिस्थिति । बस तुम अपना दर्द मुझसे शेयर कर लो। " सागर बारिश को अपने अंदर समेट लेना चाहता था । और बारिश भी सागर से दूर कैसे रह पाती उसका अस्तित्व तो सागर में समाने में ही था । बरस पड़ी , और सागर उसके दर्द से भरता रहा । दर्द की बारिश इतनी मूसलाधार थी कि सागर में भी तूफ़ान आ गया ।
" कितना दर्द जमा कर रखा है तुमने अपने अंदर , कभी किसी से कहा क्यों नहीं, दर्द बांटा क्यों नहीं अपनों से ,  क्यों इसे नासूर बनने दिया , बारिश ! बोलो बारिश । तुमने उस दरिंदे को छोड़ कैसे दिया  क्यों तुम चुप रहीं । बस अकेले ही जलती रही अपने दर्द की चिता में ।"
बारिश तो आज बस बरसे ही जा रही थी बरसों से जमी हुई हिमनदी जैसे सहानुभूति और प्रेम की गर्मी से पिघल रही हो , बारिश सागर के सीने से लगी हुई एक दशक बाद गले और मुंह में दबा हुआ रोना रोक नहीं पा रही थी और सागर ने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की । वो इंतज़ार कर रहा था बारिश का बरसों का गुबार निकलने का ।
थोड़ा हल्का होने के बाद खुद को संयत कर उसने सागर से कहा ," सागर ! अब तो तुम्हें पता चल गया ना क्यों मुझे इस रंग से नफ़रत है , क्यों मैं इस रंग को देखकर बेचैन हो जाती हूं । आज तुम्हें मेरी ज़िन्दगी की कड़वी हकीकत पता चल गई है अब तुम अपना निर्णय ले सकते हो । "
" क्या कह रही हो ज़रा खुलकर कहो बारिश ! कैसा निर्णय ?"
उसकी आंखों में आंखें डालकर सागर ने कहा ।
" तुम खुद ही समझ लो " कहकर बारिश ने नज़रें फेर लीं
" नहीं , मैं नहीं हूं , इतना समझदार , तुम ही समझा दो तो अच्छा होगा ।" सागर ने उसका मुंह अपनी तरफ करते हुए कहा ।
" देखो सागर मेरा अतीत बहुत ही दुखद है, अपवित्र है । शायद मैं .. मैं ... मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं । आज तुम भावना में बहकर मुझसे शादी कर लोगे पर भविष्य में तुम्हें मुझसे घृणा भी हो सकती है । मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से तुम्हारी ज़िन्दगी खराब हो , इसलिए तुम चाहो तो शादी के लिए मना भी कर सकते हो ।"
" ओह ! मैंने तो ये सोचा ही नहीं , क्या सचमुच मुझे शादी के लिए मना कर देना चाहिए , बोलो बारिश । तुमने मुझे इतना ही समझा । मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था कि मैं कैसी भी बात का सामना कर सकता हूं , बस नहीं देख सकता तो तुम्हें यूं अंदर ही अंदर घुटते हुए । देखो बारिश ! जो तुम्हारे साथ हुआ या इतने सालों जिस दर्द से तुम गुजरी हो वो तो मैं अब बदल नहीं सकता पर इतना विश्वास जरूर दिला सकता हूं तुम्हें कि अब तुम्हें मैं किसी भी कारण से तड़पने नहीं दूंगा । तुम्हें काले अंधेरे कुएं से बाहर निकाल लाऊंगा । जिस लाल रंग ने तुम्हारी ज़िन्दगी बेरंग कर दी है उसी रंग से तुम्हारी ज़िन्दगी फिर से इन्द्रधनुष की तरह रंगीन कर दूंगा । और ये वादा मैं तुमसे नहीं अपने आप से करता हूं । सब कुछ भूलना इतना आसान नहीं है ये मुझे पता है पर मेरा प्यार तुम्हें हर भंवर से निकाल लाएगा इतना तो  मुझे खुद पर और मेरे प्यार पर भरोसा है । " बारिश का हाथ अपने हाथों में लेकर, अपने माथे से लगाकर फिर कहने लगा ," बीती हुई बातों को भूल जाओ , मेरे लिए तुम उतनी ही पवित्र हो जितनी सीता माता थीं , जितनी गंगा मैया हैं । इससे ज्यादा मुझे बोलना नहीं आता है समझी तुम । तुम मेरी हो और मेरी ही रहोगी मुझसे अलग होने की बात तो सपने में भी मत सोचना , बारिश और सागर कभी अलग हो सकते हैं क्या उनका तो वजूद ही एक दूसरे के साथ है अलग अलग नहीं । फिर अभी अलग होने की बात की ना , तो दूंगा एक खींचकर कान के नीचे ।" और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा ।
" कान के नीचे  ...... " कहकर बारिश भी हंसने लगी। सागर ने उसे अपने सीने से लगा लिया । बारिश को लगा शायद उसे अब लाल रंग अच्छा लगने लगेगा , सागर के प्यार की लाली जो उसके गालों पर छा गई थी ।

***इतिश्री ***

©® अनामिका प्रवीन शर्मा
मुंबई
मौलिक








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