"बाबा तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे....
बाबा तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे....
तेरा हाथ छोड़कर, तेरा हाथ छोड़कर ना थामु मैं दूजा हाथ रे....
बाबा ओ... बाबा....
काहे भेजे मुझे दूर तू... मै चिरैया तेरे आंगण की...
न बना मुझे तुलसी किसके आंगण की...
मै तेरी बिटियां , तेरे आंगन की चिरैया...
बाबा तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे"....
"ना जान मुझको पराया मै, धन हु तेरी लाज का...
ना जान मुझको बोझ तू , मै सहारा हु तेरे सायें का....
क्यों छोड़े मुझको तू ऐसे भवर मैं...
घबराए मन , काँपे मेरे हाथ रे...
क्यों जाने मैं बनु तुझपे बोझ रे...
क्यों जाने मैं बनु तुझपे बोझ रे...
बाबा तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे"....
'बिटियां में तेरी मां... न समझ मुझको पराया तू...
मुझसे ये धरती, ये अम्बर का सितारा...
क्यों जाने फिर मुझको नकारे ये जमाना...
क्यों ये समझे है, श्राप मुझको मां...
यहां लडकी होना गुनाह है क्या मां...
मां तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे"....
"मां कहलाऊँ कभी... कभी भैया की राखी...
बिटियां मै लाडली... तो कभी बहुरानी...
फिर भी क्यों समझे बोझ है बिटियां...
बाबा तेरी चिरैया मै....
मैं तो ना जाऊ परदेश रे"....
"ना मार मुझको ताना, लागे है मुझको चोट...
क्यों देखे ये जमाना, जैसे मैं कोई चोर....
है गर इतनी ही लाज, बेटी है जो बजजात....
तो क्यों मैं फिर जनमु, क्यों मै ना ये समझू...
ये जग है पराया, यहां कोई ना सहारा"....