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अक्सर...

30 नवम्बर 2018

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अक्सर... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है.... कभी हसाती है, कभी रुलाती है... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है... ये कुछ सिखाती... कुछ यह कहना चाहती है... कभी बनाती है, कभी बिगाड़ती है... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है... ये कही कहा ले जाती है, ये क्यों उलझाती है... कभी रास्ते बिछड़ते है, कभी मंजिले रुस्वा होजाती है.... ये जिंदगी.... यूँ अक्सर सताती है कभी हारती है, कभी जीताती है... बेवजह सी बातों में अक्सर खो जाती है... हस्ते हुए आँखों में आंसू दे जाती है... जिंदगी... यू अक्सर सताती है... रोते रोते, कभी आंसू सुख जाते है.... रोते हुए कभी खुदको भूल जाते है.... कभी किसीके प्यार मैं कभी किसीकी याद में बेतहाशा रुलाती है..... ये जिंदगी अक्सर सताती है.... कभी याद बनजाती है, कभी नासूर बनजाती है... कभी पलों में सौबातें कह जाती है, कभी अरसों तंहां रह जाती है.... कभी खिलखाले के हसाती है, कभी जोरोसे मुस्कुराती है.... ये जिंदगी अक्सर सताती है... कभी मासूम तो कभी हैवान बन जाती है... हर पहलूँ में कुछ अलग दिखाती है.... गम में कुछ और खुशियों में कुछ और जताती है... जिंदगी अक्सर सताती है.... जिंदा है वो लोग जो जिंदगी को समझ पाते है... हर पल जिंदगी को जी भर के जी जाते है.... यूँ तो जिंदगी सताती है, मगर पल है ये जब जिंदगी ही एक नई जिंदगी की राह दिखाती है.... ये जिंदगी.... जी भर के जियो हर पल... ये अक्सर जीना सिखाती है....
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ऐतराज़...

19 नवम्बर 2018
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ऐतराज़...एक दौर है ये जहाँ तन्हां रात में वक़्त कट्टा नही... वो भी एक दौर था जहाँ वक़्त की सुईयों को पकड़ू तो वक़्त ठहरता नही... एक दौर है ये जहाँ नजर अंदाज शौक से कर दिए जाते है... वो भी एक दौर था... जहाँ चुपके चुपके आँखों मैं मीचे जाते थे

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अक्सर...

30 नवम्बर 2018
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अक्सर... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है.... कभी हसाती है, कभी रुलाती है... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है... ये कुछ सिखाती... कुछ यह कहना चाहती है... कभी बनाती है, कभी बिगाड़ती है... यूँ अक्सर जिंदगी सताती है... ये कही कहा ले जाती है, ये क्यों उलझाती है... कभी रास्ते बिछड़ते है, कभी मंजिले रुस्वा होजाती है....

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रंग

11 दिसम्बर 2018
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रंगों का भी क्या मिजाज है....हर पल यह बदल जाता है....कुछ पल सुनहरा दर्शाता है...तो कुछ पल फीका कर जाता है....कुछ गाड़े रंग है, जिंदगी जिससे खोना नही चाहती...कुछ ऐसी ही फीकी उमंग है जो जिंदगी मैं चाहकर भी होना नही चाहती...कुछ अनदेखे रंग ह,ै जो आंखों से ओझल रहते है....कुछ जाने पचाने रंग है ,जो हरपल आँख

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बाबा तेरी चिरैया...

16 दिसम्बर 2018
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"बाबा तेरी चिरैया मै....मैं तो ना जाऊ परदेश रे....बाबा तेरी चिरैया मै....मैं तो ना जाऊ परदेश रे....तेरा हाथ छोड़कर, तेरा हाथ छोड़कर ना थामु मैं दूजा हाथ रे....बाबा ओ... बाबा....काहे भेजे मुझे दूर तू... मै चिरैया तेरे आंगण की...न बना मुझे तुलसी किसके आंगण की...मै तेरी बि

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राख...

22 दिसम्बर 2018
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राख... कैसे रिश्ते ये... कैसे ये नाते है... अपना ही खून हमे कहा अपनाते है... प्यार कहो या कहो वफ़ा... सबकुछ तो सिर्फ बातें है... रिशतें कहो या कहो अपने... सबकुछ तो सिर्फ नाते है... बातें लोग भूल जाते है... नाते है टूट जाते है... कोनसी कसमें कोनसे वादें... यहां अपने पीछे छूट जाते है... कितना भी कहलो

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गरीबों की बस्ती

9 जनवरी 2019
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कहते है कि.... गरीबों की बस्ती मे... भूक और प्यास बस्ती है... आँखों में नींद मगर आँखें सोने को तरसती है... गरीबों की बस्ती मे... बीमारी पलती है... बीमारी से कम यहा भूक से ज्यादा जान जलती है... गरीबों की बस्ती मे... लाचारी बस्ती है... पैसे की लेनदेन मे ही जिंदगी यहा कटती है... गरीबों की बस्ती मे... श

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मैं

21 जनवरी 2019
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इंसानियत की बस्ती जल रही थी, चारों तरफ आग लगी थी... जहा तक नजर जाती थी, सिर्फ खून में सनी लाशें दिख रही थी, लोग जो जिंदा थे वो खौफ मै यहा से वहां भाग रहे थे, काले रास्तों पर खून की धारे बह रही थी, हर तरफ आग से उठता धुंआ.. चारों और शोर, बच्चे, बूढ़े, औरत... किसी मै फर्क नही किया जा रहा, सबको काट रहे ह

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