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बचपन की यादें

8 जून 2017

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बचपन के दिन होतें थे बहुत खास ,

खेल ते थे , कूदते थे ,

थे हरदम साथ !

हाथ पकड़कर अपने भाई बहनों का,

कदम से कदम चलते थे ,

कभी उछलकर ,कभी गिर पड़ कर

फिर उठ जातें थे झटपट !

कभी गिरकर , कभी गिराकर ,

कभी रोकर तो कभी रुलाकर ,

और फिर सब हसते खिलखिलाकर !

कभी रूठना तो कभी मनाना ,

रहता था चलता ,

अगर एक पल भी हो जातें हम एक दुसरे से दूर ,

दिल न लगता किसी का भी एक दुसरे के बिना !

फिर मिल जातें सब एक साथ , करते हसी और मजाक !

खिलखिलाकर हंस्ते चेहरे आज बहुत गंभीर हैं ,

जब सुना दे उन्हें बचपन की यादें ,

फिर उनके चेहरे फूलो की तरह मुस्कुरा दें !

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