बचपन के दिन होतें थे बहुत खास ,
खेल ते थे , कूदते थे ,
थे हरदम साथ !
हाथ पकड़कर अपने भाई बहनों का,
कदम से कदम चलते थे ,
कभी उछलकर ,कभी गिर पड़ कर
फिर उठ जातें थे झटपट !
कभी गिरकर , कभी गिराकर ,
कभी रोकर तो कभी रुलाकर ,
और फिर सब हसते खिलखिलाकर !
कभी रूठना तो कभी मनाना ,
रहता था चलता ,
अगर एक पल भी हो जातें हम एक दुसरे से दूर ,
दिल न लगता किसी का भी एक दुसरे के बिना !
फिर मिल जातें सब एक साथ , करते हसी और मजाक !
खिलखिलाकर हंस्ते चेहरे आज बहुत गंभीर हैं ,
जब सुना दे उन्हें बचपन की यादें ,
फिर उनके चेहरे फूलो की तरह मुस्कुरा दें !