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बारिश

29 सितम्बर 2024

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ये इतना साफ़ आसमाान

ये इतनी धूप क्यों

मैं आज घर से कैसे निकलूं

मेरे इरादे दिख जायेंगे

ये तपिश भरा दिन, सब बादल हट गए

वो बर्फ की चादर गुम है

मैं आज बाहर न जाऊँ

मेरे आंसू पिघल जायेंगे

मुझे वो बरसात वो काले बादल

वो अँधेरा ला दो वापस

वो दिन का रात सा उजाला

वो बूंदों के बिखरने की छन छन

मेरी खिड़की एक अरसे से बंद है

मैं बाहर देखना चाहता हूँ

बिना किसी को दिखे बगैर

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