जिससे वह पाकिस्तान को घुटने के बल पर ला सकता है। यह है इंडस वॉटर ट्रीटी अर्थात् सिंधु जल संधि। तब के इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (अब विश्वबैंक) की मौजूदगी में 19 सितंबर 1960 को कराची में इस संधि पर तब के भारतीय पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे। कहा जाता है कि पूरी दुनिया में यह अजूबा संधि है, जिसमें भारत अपनी छह मुख्य नदियों का 80 फीसदी जल अपने सबसे बड़े दुश्मन के लिए सुरक्षित करता है।
इस संधि के मुताबिक भारत छह नदियों का लगभग 167.2 अरब घन मीटर हर साल पाकिस्तान के लिए देता है। सिंधु, झेलम और चिनाब का तो पूरा पानी ही पाकिस्तान को दे दिया जाता है़ यदि भारत ने इस संधि को रद्द कर दिया तो पाकिस्तान की इकॉनामी ही ध्वस्त हो जाएगी। पंजाब का पूरा इलाका, जो उम्दा खेती के लिए जाना जाता है, वीरान हो जाएगा। सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, व्यास और रावी का पानी बंद हो जाने से पाक में खेती खत्म हो जाएगी। वहां की खेती बारिश पर कम, इन नदियों के पानी पर ज्यादा निर्भर करती है। इस संधि को खत्म करने के बाद पाकिस्तान खूब रोएगा, रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम, सिंधु और चिनाब का आरंभिक बहाव भारत में है। ऐसे में इस पर नियंत्रण भी भारत का होना चाहिए। सरकार को ये कदम ऊठाना चाहिये । वो भी तत्काल । जय भारत ।।।