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स्वदेशीकरण

18 सितम्बर 2015

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कृषि व्यवस्था का स्वदेशीकरण कृषि व्यवस्था का स्वदेशीकरण भारतीय खेती१) भारतीय ग्राम समाज में मिलने वाले गोबर, गौमूत्र और अन्य जैविक पदार्थो से सेंद्रीय खाद बनाना चाहिए फर्टिलाइजर के कारखानों को जो सहूलियत व सबसिडी मिलती है, वह बंद होनी चाहिए । पिछ्ले पचास सालों में रासानिक फर्टिलाइजर को प्रोत्साहित करके सरकार ने भारत की खेती का भारी नुकसान किया है । हमें इस बात का पूरा अनुभव मिल चुका है कि रासायनिक खाद आगे चलकर लंबे समय के लिए नुकसानदेह है और ये जमीन की उर्वरता को खत्म कर देते है । इसलिए ज्यादा खाद डालते हुए भी प्रति एकड़ उत्पादन कम हो रहा है । इसके बदले हमारा गोबर खाद, सेंद्रीय खाद उत्तम है, यह साबित हो चुका है । इसलिए रासायनिक खादों को किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए और सेंद्रीय खाद को तमाम प्रकार के प्रोत्साहन मिलने चाहिए । ताजातरीन शोधों के मुताबिक एक किलो गोबर में से ३० से ३५ किलो जितना ही गुणकारी सेंद्रीय खाद बन सकता है । इस तरह तमाम ग्रामवासियों को अवकाश के समय में सेंद्रीय खाद बनाने में लगाया जाए तो भारत में सेंद्रीय खाद से अत्यंत उपयोगी व समृद्ध हो सकती है । साथ ही इससे जमीन की उर्वरता भी खूब बड़ जायेगी और प्रति एकड़ उत्पादन पूरे विश्व में हम उच्चतम ले सकते है । इतनी बड़ी संभावना हमारे देश में है परंतु उसका उपयोग किया नहीं जाता। ऐसा करने के लिए रासायनिक खाद के ऊपर प्रतिबंध होना चाहिए और एक किलो गोबर से ३० किलो सेंद्रिय खाद बनाने की पध्दति का खूब जोर - शोर से गांव में प्रचार करके ऐसी खाद करोड़ों और अरबों टन बनाने की व्यवस्था करना जरुरी है । २) भारतीय ग्राम्य समाज में उपलब्ध गौमूत्र, नीम और दूसरी वनस्पतियों का उपयोग करके कुदरती कीटनाशक दवाएं बनाना और वही खेत में उपयोग करना तथा पेस्टीसाइड्स के कारखाने पर प्रतिबंध आधुनिक खेती में रासायनिक कीट्नाश्कों ने खेती का सत्यानाश कर रखा है । अभी भारत में हर साल २० हजार करोड़ रु. की कीट्नाशक दवएं किसान उपयोग करता है । यानी किसानों के घरों में से बेशकीमती २० हजार करोड़ रु. के कीटनाशकों के रुप मे चले जाते है । इसलिए किसान बदहाल हो जाता है और बहुत सारे किसानों को आत्महत्या करनी पड़ती है । रासायनिक दवाओं के कारण जमीन का नाश होता है सो अलग और उत्पादन भी कम होता है । कीटनाशक दवाओं बाला खाद्य पदार्थ खाने से तमाम लोगों को कैंसर जैसी बीमारी भी हो जाती है । इसलिए दवाओं में और डाक्टरों पर काफी पैसे खर्च हो जाते है । इस प्रकार के दुश्चक्र में भारत के किसान और भारत की जनता फंस गयी है । कृषि व्यवस्था के स्वदेशीकरण से इस जहरचक्र को तोड़ डालना चाहयें । यह कार्य सचमुच कठिन नहीं है, क्योकि महंगे रासायनिक कीटनाशक दवाओं के बदले स्थानीय बनस्पतियों से घर में कीटनाशक दवाएं बिल्कुल मुफ्त में बना लेना सरल है और हर किसान बहुत कम खर्च में यह कर सकता है । बनस्पतियों से घर में बनने वाली कीटनाशक दवाएं किसानों द्वारा खुद बनाने के तरीके का प्रचार होना चाहिए । यह बहुत जरुरी है । ऐसा हो तो किसान ऐसी दवाएं खुद बनाकर लाखों करोड़ों रुपयों के शोषण से बच सकते है । अपनी खेती की जमीन को खराब होने से बचा सकते है और जनता को कीटनाशक वाली सब्जी, भाजी, अनाज, फल, दलहन से जो कैंसर होता है, उससे बचा सकते है । ३) पहाड़ों में से मिलने वाले पत्थर तथा अन्य स्थानों से मिलने वाली प्राकृतिक मिट्टी में जो खनिज तत्व है उनका उपयोग कृषि में होना चाहिएं ४) खेती के काम में जरुरी साधन-उपकरण आदि बनाने के लिए लोहार, बढाई वगैरह लोगों को प्रोत्साहन मिले ऐसी नीति ५) भारतीय कृषि परंपराओं में उपयोगी हो ऐसे बीज का संरक्षण और पुनर्गठन बीज को पवित्र वस्तु मानने की परंपरा भारत में थी । उसकी खरीद-बिक्री नहीं होती थी । मित्र परिवार और सगे- संबंधी से लेन-देन करके आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी । अक्सर किसान अपना बीज स्वयम् चुन-चुन कर रखते थे । १९६० से हरित क्रांति के दौर में जहां पहले भारत में ४० हजार धान की, चार हजार गेहूं की, एक हजार आम की किस्में थी वे अब बहुराष्टीय कंपनियों को तरजीह देने कारण एक दर्ज तक सिमट गई है । इसलियें हमें अपने पारम्परिक बीजों की सुरक्षा और उत्पादन करने ही होगें । ६) देशी बीज मिलें ऐसे २५-५० गांवों के समूह में बीज का उत्पादन व वितरण की सुविधा । ७) खेती का पारंपरिक ज्ञान जो भारतीय किसानों को है, उसका संकलन और प्रचार तथा भारतीय भाषाओं में प्रकाशन ।
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स्वदेशीकरण

18 सितम्बर 2015
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गुड

18 सितम्बर 2015
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गुड स्वास्थ के लिए अमृत है !गुड स्वास्थ के लिए अमृत है ! राजीव भाई चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है क्योंकि गुड़ खाने के बाद यह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिये वागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है) जबकि चीन

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हिचकी

18 सितम्बर 2015
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हिचकीहिचकी राजीव भाई प्राणायाम :- 1) कपालभाति 2) व्रजासन 3) मण्डूकासन, गर्म पानी से स्नान प्रात: का भोजन:- 1) सादा भोजन 2) मूली के पत्तों का रस 3) नींबू + सेंधा नमक मिलाकर चाटना शाम का भोजन :- 1) पुराना चावल + मूंग की खिचड़ी (लहसुन + अदरक) के साथ 2) गाय / बकरी के दूध में 5 इलायची दाना मिलाकर पथ्य :-

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THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY

18 अक्टूबर 2015
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अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक ” THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY ” के अनुसारप्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की अन्य पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जा

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अभिनेता शाहरुख़ खान के बढ़ती 'असहिष्णुता' के बयान पर जयपुर के कवि अब्दुल गफ्फार की ताजा रचना

7 नवम्बर 2015
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"तूने कहा,सुना हमने अब मन टटोलकर सुन ले तूसुन सुन ओ शाहरुख खान,अब कान खोलकर सुन ले तूतुमको शायद इस हरकत पे शरम नहीं है आने कीतुमने हिम्मत कैसे की जोखिम में हमें बताने कीशस्य श्यामला इस धरती के जैसा जग में और नहींभारत माता की गोदी से प्यारी कोई ठोर नहींघर से बाहर जरा निकल के अकल खुजाकर के पूछोहम कितन

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महौषधि है गौमूत्र ( केवल देशी गाय का )

22 दिसम्बर 2015
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 ---गौमूत्र मनुष्य जाति तथा वनस्पति जगत को प्राप्त होने वाला अमूल्य अनुदान है। यह धर्मानुमोदित, प्राकृतिक, सहज प्राप्य हानिरहित, कल्याणकारी एवं आरोग्यरक्षक रसायन है। गौमूत्र- योगियों का दिव्यपान है। इससे वे दिव्य शक्ति पाते थे। गौमूत्र में गंगा ने वास किया है। यह सर्वपाप नाशक है। अमेरिका में अनुसंधा

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जानिए हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार – संस्कृति।

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आयुर्वेद_के_अनुसार_दूध_पीने_के_नियम

23 सितम्बर 2016
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