26 अगस्त 2015
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मुझे हिन्दू होने पर गर्व है।D
कवि गौरव चौहान जी की अति सुन्दर-सार्थक व्यंग्यात्मक रचना ! सुरेश भारद्वाज जी, रचना साझा करने हेतु धन्यवाद !
हिन्दू
हमारी समझ तो जय श्री राम तक ही है।
राम राम जी।
भगवान जी कितने दयालु हैँ ।ऊन्होने हमेँ अपने ही जैसा मानव रूप दिया।।
अनपढ लोगो की वजह से ही हमारी मातृभाषा बची हुई हैं,वरना पढे हुए कुछ लोग तो राम राम बोलने में भी शरमाते हैं ।।#जय_श्रीराम
मन विपरीत लिंग की तरफ़ भटकता रहता है।चाहे प्यार कहलो या वासना।।