shabd-logo

बिहारी छंद पर आधारित भजन

15 अक्टूबर 2015

383 बार देखा गया 383
featured imageवाचिक मापनी 221__1221__1221__122 -------------------------------------- हे कृष्ण मिले मोक्ष हृदय जोत जलाओ। नित नाम जपूं मान तजूँ सार समाओ।1। ---------- तूफान खड़ा राह असह पीर बढ़ी अब, हूँ हार पड़ा द्वार चरण दास बनाओ।2। ---------- मझधार पड़ी नाव फटे पाल दयाला, दो आप वरद हस्त मुझे पार लगाओ।3। ----------- सम्हाल रखो मैं न पडूँ पाप पतन में, हैं लोग बहुत धूर्त जतन सत्य सिखाओ।4। ------------- अब हाथ चला थाम मिला धाम तुम्हारा, करताल बजे ढ़ोल बजे वंशी बजाओ।5। ------------ हैं गोप बने देख रहें राह सभी हम, वो तान मधुर छेड़ कहो क्यों न सुनाओ।6। ----------- ये शब्द ढलें गीत बने छंद बिहारी, घनश्याम सुनो अर्ज हरष कंठ सजाओ।7। सुनील प्रसाद शाहाबादी
सुनील प्रसाद शाहाबादी

सुनील प्रसाद शाहाबादी

शब्द नगरी के सम्मानित विद्वजन को प्रणाम करते हुए कहूँगा क़ि ये छंद एक कठिन छन्दों में गिना जाता है इसे राग भैरवी और कल्याणपुरी में सहज गाया जाता है बिना किसी मात्रा पतन के इस रचना को साधा है माँ वीणा के आशीर्वाद से अच्छा लगे तो प्रोत्साहित अवश्य करें नमन सभी को ।

15 अक्टूबर 2015

1

ग़ज़ल

19 जून 2015
0
0
0

बहरे खफ़ीफ़ मुसद्दस मखबून मात्रा- 2122 1212 22 विधा-गीतिका समांत-(आ ) पदांत-(दे दो) *

2

एक गीतिका

14 अक्टूबर 2015
0
2
3

गीतिकाआधार छंद-बिहारीवाचिक मापनी-221__1221__1221__122समांत-आओ___पदांत-अपदांत~~~~~~~~~~~~~~~~दिलदार दबे आँख गजब तीर चलाओ।अरमान बने खार चुभे यूँ न सताओ। ~~~~~(1)बरसात हरे बाग खिले फूल कली भी,अनुराग जगे प्यास बढ़े प्रीत निभाओ।~~~~~(2)मन मोह विहग बृन्द उड़े पाँख पसारे।आकाश सजे मेघ आज नैन लड़ाओ।~~~~~(3)य

3

बिहारी छंद पर आधारित भजन

15 अक्टूबर 2015
0
1
1

वाचिक मापनी221__1221__1221__122--------------------------------------हे कृष्ण मिले मोक्ष हृदय जोत जलाओ।नित नाम जपूं मान तजूँ सार समाओ।1।----------तूफान खड़ा राह असह पीर बढ़ी अब,हूँ हार पड़ा द्वार चरण दास बनाओ।2।----------मझधार पड़ी नाव फटे पाल दयाला,दो आप वरद हस्त मुझे पार लगाओ।3।-----------सम्हाल र

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए