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एक गीतिका

14 अक्टूबर 2015

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गीतिका

आधार छंद-बिहारी

वाचिक मापनी-

221__1221__1221__122

समांत-आओ___पदांत-अपदांत

~~~~~~~~~~~~~~~~

दिलदार दबे आँख गजब तीर चलाओ।

अरमान बने खार चुभे यूँ न सताओ। 

~~~~~(1)

बरसात हरे बाग खिले फूल कली भी,

अनुराग जगे प्यास बढ़े प्रीत निभाओ।

~~~~~(2)

मन मोह विहग बृन्द उड़े पाँख पसारे।

आकाश सजे मेघ आज नैन लड़ाओ।

~~~~~(3)

ये खेल नही प्यार रखो मान हुआ जब,

नादान मुखर प्रीत करो रीत बनाओ।

~~~~~(4)

बेकार हठो और पले शौक हटाकर,

सौ बार गुनो सोच समझ पाँव बढ़ाओ।

~~~~~(5)

मदहोश हवा होश लिए भाग रही है,

सम्हाल मुझे आज गले यार लगाओ।

~~~~~(6)

गा गा न थकें लोग रहे याद सदा ही,

श्रृंगार बना स्नेह प्रणय छंद सजाओ।

~~~~~(7)

सुनील प्रसाद शाहाबादी

सुनील प्रसाद शाहाबादी

सुनील प्रसाद शाहाबादी

आदरणीया/आदरणीय वर्तिका जी एवं ओम प्रकाश जी आभारी हूँ आप सबका।

15 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

उत्कृष्ट रचना! सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बधाई!

15 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

अति सुन्दर रचना, सुनील प्रसाद शाहाबादी !

15 अक्टूबर 2015

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ग़ज़ल

19 जून 2015
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बहरे खफ़ीफ़ मुसद्दस मखबून मात्रा- 2122 1212 22 विधा-गीतिका समांत-(आ ) पदांत-(दे दो) *

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एक गीतिका

14 अक्टूबर 2015
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गीतिकाआधार छंद-बिहारीवाचिक मापनी-221__1221__1221__122समांत-आओ___पदांत-अपदांत~~~~~~~~~~~~~~~~दिलदार दबे आँख गजब तीर चलाओ।अरमान बने खार चुभे यूँ न सताओ। ~~~~~(1)बरसात हरे बाग खिले फूल कली भी,अनुराग जगे प्यास बढ़े प्रीत निभाओ।~~~~~(2)मन मोह विहग बृन्द उड़े पाँख पसारे।आकाश सजे मेघ आज नैन लड़ाओ।~~~~~(3)य

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बिहारी छंद पर आधारित भजन

15 अक्टूबर 2015
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वाचिक मापनी221__1221__1221__122--------------------------------------हे कृष्ण मिले मोक्ष हृदय जोत जलाओ।नित नाम जपूं मान तजूँ सार समाओ।1।----------तूफान खड़ा राह असह पीर बढ़ी अब,हूँ हार पड़ा द्वार चरण दास बनाओ।2।----------मझधार पड़ी नाव फटे पाल दयाला,दो आप वरद हस्त मुझे पार लगाओ।3।-----------सम्हाल र

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