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चेहरे पर मुस्कान लौटाती आशाएं

23 दिसम्बर 2020

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बुंदेलखण्ड की हीरा नगरी कहे जाने वाला पन्ना जिला वास्तव में आदिवासी बहुल क्षेत्र है। इसी पन्ना जिले के देवेन्द्रनगर विकासखण्ड के ग्राम फुलवारी की 3 वर्षीय काजल और ग्राम राजापुर के रक्सेहा सेक्टर का बालक वीरेन्द्र गौड़ आज स्वस्थ और हंसते-खेलते नज़र आते हैं। लेकिन कभी ये दोनों ही बच्चे गंभीर कुपोषण से ग्रस्त थे और इनके माता-पिता भी जानकारी के अभाव में इनका इलाज कराने की स्थिति में भी नहीं थे। दोनों बच्चों के चेहरे की ये मुस्कान और खिलखिलाहट वापस लाना इतना आसान भी न था। तमाम कठिनाइयों, विपरीत परिस्थितियों और ग्रामीण समाज की वंचनाओं का सामना करते हुए इतना बड़ा काम किया यहां कार्यरत् आशा कार्यकर्ताओं तिजियाबाई चौधरी और मीतू दत्ता ने। दोनों के सकारात्मक प्रयासों को देखते हुए रेडियो वार्ता मन की बात में प्रश्नोत्तर में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करने के लिए चयनित भी किया गया।

दरअसल देवेन्द्रनगर विकासखण्ड के ग्राम फुलवारी की काजल जन्म से ही कुपोषण की शिकार थी। जब उसकी उम्र मात्र 1 वर्ष थी, तब उसका अपने पिता हीरालाल आदिवासी और माता नीलम आदिवासी के साथ अपने ग्राम राजापुर आना हुआ। उसी दौरान मध्यप्रदेश शासन के दस्तक अभियान के अंतर्गत् आशा एवं आँगनवाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर दस्तक देते हुए लोगों के बीच अच्छे स्वास्थ्य की अलख जगाने का कार्य कर रही थीं। इसी के तहत हीरालाल आदिवासी के घर जब आशा कार्यकर्ता तिजियाबाई चौधरी पहुंचीं, तो उन्होने देखा कि नन्ही काजल कुपोषण के गंभीर स्तर पर थी। यहां तक कि उसके शरीर की फीता नाप ही 7.5 और वजन बहुत ही कम था। तब आशा कार्यकर्ता तिजियाबाई ने बच्ची की माँ नीलम को समझाते हुए नन्ही काजल के जरूरत से कम वजन के बारे में आगाह करने की कोशिश की। उन्होंने उसे पन्ना NRC में भर्ती कराने का परामर्श भी दिया। लेकिन कम पढ़े-लिखे होने और जानकारी की कमी होने की वजह से काजल के माता-पिता ने उनकी बात पर अधिक ध्यान नहीं दिया।

परिस्थितियां अनुकूल न होने पर भी आशा कार्यकर्ता ने हिम्मत नहीं हारी और छोटी सी काजल के माता-पिता को समझाने का प्रयास जारी रखा। इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने भी उनका पूरा साथ दिया। अंतत: दोनों कार्यकर्ताओं के अथक प्रयास रंग लाए और नीलम और हीरालाल ने अपनी बच्ची के इलाज कराने की सहमति दे दी। फिर परिजन उनके साथ काजल को पन्ना लाने के लिए राजी हो गए।

यहां भी आशा कार्यकर्ता तिजियाबाई ने पहल की और 108 के माध्यम से उस बच्ची को पन्ना जिला अस्पताल ले कर गईं, जहां NRC में भर्ती करके उसका इलाज़ शुरू किया गया। जहां किसी 1 वर्ष के बच्चे स्वस्थ बच्चे का वजन कम-से-कम 9-10 किलोग्राम होना चाहिए, वहीं जब बच्ची भर्ती की गई उस समय उसका वज़न मात्र 4.2 किलोग्राम था। आशा कार्यकर्ता तिजियाबाई के प्रयासों के चलते NRC जिला चिकित्सालय पन्ना में 15 दिन बच्ची का नि:शुल्क उपचार किया गया। 15 दिन बाद जब काजल को छुट्टी दी गई, तब उसका वजन 5.5 किलोग्राम हो चुका था।

आज नन्ही काजल की उम्र 3 वर्ष है और वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है। इतने समय बाद भी आशा कार्यकर्ता और आँगनवाड़ी कार्यकर्ता समय-समय पर उसके स्वास्थ्य पर फॉलो-अप लेती रहती हैं। उन्ही के प्रयासों का फल है कि नन्ही काजल की किलकारी पूरे घर में गूंजती रहती है।

नन्हे चेहरों की मुस्कुराहट वापस लाने के प्रयास यहीं नहीं रुके। काजल की तरह ही कुछ हाल देवेन्द्रनगर ब्लॉक के ग्राम राजापुर के रक्सेहा सेक्टर के मिन्तो और दादू गौड़ के नन्हे से बेटे वीरेन्द्र गौड़ की थी। वीरेन्द्र के जन्म के तुरंत बाद ही उसके माता-पिता को मजदूरी की तलाश में दूसरी जगह पलायन करना पड़ा। मजदूरी पर निर्भर होने की वजह से, बार-बार के पलायन के चलते मिन्तो और दादू छोटे से वीरेन्द्र की देख-भाल ठीक तरह से नहीं कर सके। परिणाम ये हुआ कि वीरेन्द्र कुपोषण का शिकार हो गया।

बारिश के मौसम की शुरुआत के बाद मज़दूरी ख़त्म होने पर दादू अपने परिजनों और वीरेन्द्र के साथ वापस अपने घर आया। इसी दौरान दस्तक अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ आशा कार्यकर्ता मीतू दत्ता उनके घर पहुंचीं। दोनों ने ही पाया कि नन्हा सा वीरेन्द्र को जुकाम के साथ ही बुखार भी था। एक बुरी बात और थी कि वह बच्चा पहले से ही कुपोषण के चलते बहुत ही कमज़ोर था। बच्चे की नाज़ुक दशा को देखते ही उसकी माँ मिन्तो को आशा कार्यकर्ता मीतू दत्ता ने तुरंत पन्ना NRC में बच्चे को भर्ती कराने की सलाह दी। शुरुआत में वीरेन्द्र के परिजनों ने उसका इलाज कराने में असमर्थता जाहिर की। लेकिन आशा कार्यकर्ता मीतू ने हार नहीं मानी। उन्होंने बार-बार बच्चे के जरुरत से कम वजन और बुखार से उसकी बिगड़ती हालत के बारे में उसके माता-पिता को समझाया। साथ ही उन्हें शासकीय योजनाओं और उनसे होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी। जिसके बाद वीरेन्द्र की माँ मिन्तो उसका उपचार NRC जिला अस्पताल पन्ना में कराने के लिए तैयार हो गईं।

बच्चे के परिजनों द्वारा उसके इलाज के लिए हामी भरने पर आखिर आशा कार्यकर्ता मीतू दत्ता की कोशिशें सफल हुईं। उन्होंने NRC पन्ना जिला अस्पताल में नन्हे वीरेन्द्र को भर्ती कराया और वहां उसका 15 दिन नि:शुल्क उपचार किया गया। परिणामस्वरूप बच्चे के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ। आज नन्हे वीरेन्द्र के मासूम चेहरे पर उसकी चमक और खिलखिलाहट साफ देखी जा सकती है और ये सब संभव हुआ आशा की किरण जगाती आशा कार्यकर्ता मीतू दत्ता की अथक कोशिशों से।


--अपर्णा मिश्रा

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